गूगल ट्रांसलेट में शामिल होने के बाद भोजपुरी को मिलेगी वैश्विक पहचान

गोपालगंज : विश्वव्यापी सर्च इंजन गूगल के गूगल ट्रांसलेट प्लेटफार्म पर भोजपुरी और संस्कृत को भी शामिल किए जाने से पूर्वांचल के भोजपुरी भाषी लोगों ने हर्ष व्यक्त करते हुए इसका स्वागत किया है। लोगों का कहना है कि गूगल ट्रांसलेट में भोजपुरी और संस्कृत को शामिल किए जाने से एक तरफ जहां इन भाषाओं को वैश्विक पहचान मिलेगी, तो दूसरी ओर इन भाषाओं का गौरव और सम्मान भी बढ़ेगा।

आजादी के बाद भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान नहीं मिल पाया है। हालांकि लंबे समय से भोजपुरी भाषी लोग इसे आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। गूगल ने इसे अपने गूगल ट्रांसलेट प्लेटफार्म पर जगह दिया है, ऐसे में एक बार फिर इसे संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने की मांग उठने लगी है। तमाम भोजपुरी भाषी लोगों का कहना है कि भोजपुरी भाषी लोगों की बड़ी संख्या को देखते हुए इसे सर्च इंजन गूगल ने अपने गूगल ट्रांसलेट प्लेटफार्म में शामिल किया है। भोजपुरी को इस प्लेटफार्म पर शामिल किया जाना यह साबित करता है कि भोजपुरी भाषी लोगों का दायरा बृहद और विस्तृत है। न सिर्फ उत्तर भारत, नेपाल और फिजी में भी बड़ी संख्या में भोजपुरी भाषी रहते हैं, बल्कि मॉरीशस, सिगापुर व दक्षिण अफ्रीका के कई देशों में भोजपुरी भाषी लोग इस भाषा को समृद्ध करने में लगे हैं। इससे विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा ग्रहण करने वाले लोगों से लेकर अन्य लोग गूगल की इस सुविधा का लाभ अपनी भाषा में ले सकेंगे। विदित हो कि गूगल ट्रांसलेट के प्लेटफार्म पर पहले से ही 133 भाषाएं उपलब्ध थीं। इसमें गूगल ने भोजपुरी व संस्कृति सहित 24 अन्य भाषाओं को भी जोड़ा है।
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भोजपुरी का बढ़ेगा गौरव व मिलेगा सम्मान
जितनी बड़ी संख्या में इस देश के अलावा विदेश में भोजपुरी भाषी लोग रहते हैं, उस हिसाब से इस भाषा को उचित सम्मान अभी नहीं मिल पाया है। गूगल ट्रांसलेट द्वारा भोजपुरी को अपने गूगल ट्रांसलेट प्लेटफार्म में शामिल किए जाने से न सिर्फ इस भाषा का विस्तार होगा इस भाषा का गौरव और सम्मान भी बढ़ेगा। दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों में भोजपुरी भाषी लोग रहते हैं तथा इस भाषा को बोलचाल के रूप में इस्तेमाल भी करते हैं। पूरी दुनिया में भोजपुरी भाषी लोगों की संख्या करोड़ों में है। इस बड़ी संख्या को देखते हुए गूगल इसे अपने गूगल ट्रांसलेट पर प्लेटफार्म पर स्थान दिया है। जो एक स्वागत योग्य कदम है।
प्रियेश राय, भोजपुरी भाषा प्रेमी
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संस्कृत भाषा के विस्तार में मिलेगी मदद
संस्कृत इस देश की देव और आदि भाषा है। जब इस देश में मानव सभ्यता का विकास नहीं हुआ था, तब भी इस देश में संस्कृत बोली जाती थी और संस्कृत का प्रचलन था। देश की प्राचीनतम भाषा होने के बावजूद इस भाषा को अभी तक वह सम्मान हासिल नहीं है, जो इसे मिलनी चाहिए। अब गूगल ने इसे गूगल ट्रांसलेट प्लेटफार्म पर स्थान दिया गया है। इससे इस भाषा के विस्तार में मदद मिलेगी। खासकर संस्कृत के विद्यार्थियों या इस विषय में उच्च शिक्षा हासिल करने वाले लोगों को इस प्लेटफार्म से विशेष लाभ मिलेगा। गूगल की ओर से संस्कृत को अपने प्लेटफार्म पर जगह देना इस भाषा के सम्मान को और आगे बढ़ाएगा।
उदय सरोज त्रिपाठी, प्रधानाचार्य, बालिका उच्च विद्यालय, मतेया खास

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