मनरेगा से पहले चरण में 40 पंचायतों में बनेगा जैविक खाद

जागरण संवाददाता, सुपौल: मिट्टी जांच प्रयोगशाला की रिपोर्ट में रासायनिक खादों के प्रयोग से खेतों में मौजूद पोषक तत्वों में लगातार कमी दर्ज की जा रही है । बावजूद इसके कृषि विभाग द्वारा जैविक खाद उत्पादन के लिए विगत तीन वर्षों से प्रोत्साहन राशि बंद है । फलस्वरूप जिले में वर्मी कंपोस्ट का निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है। अब मनरेगा योजना के माध्यम से इस कमी को पूरा किया जाएगा। स्वच्छता अभियान के तहत जिले में प्रथम चरण में 40 पंचायतों में मनरेगा योजना से नेडेप का निर्माण कर ठोस और तरल से जैविक खाद तैयार किया जाएगा। दूसरे चरण में जिले के 66 पंचायतों में यह अभियान चलेगा। जिला स्वच्छता समन्वयक के अनुसार पंचायतों में ही टंकी बनाकर जलकुंभी से जैविक खाद तैयार किए जाएंगे । हालांकि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी सिर्फ चार प्रखंडों में ही यह कार्य शुरू किये जाएंगे। फिलहाल इन चार प्रखंडों का चयन कार्य किया जा रहा है। इस योजना के शुरू हो जाने से जहां गांव साफ सुथरे दिखेंगे वहीं जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।


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जलकुंभी व गोबर से तैयार होगा जैविक खाद
जिला स्वच्छता समन्वयक की मानें तो आने वाले दिनों में जलकुंभी के निस्तारण व उसके विभिन्न उत्पादन की रणनीति बनाई जा रही है । इसके तहत मनरेगा से किसानों के घर पर टैंक बनाकर उसमें जलकुंभी और गोबर के मिश्रण से खाद तैयार किया जाएगा। किसानों की मानें तो यह खाद खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए काफी कारगर साबित होगी। इसके प्रयोग से इलाके के जमीन को नवजीवन मिलेगा और कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
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कोट
मनरेगा के तहत बेस्ट ब्रोसिग यूनिट का निर्माण किया जाना है। प्रथम फेज में 44 पंचायतों में कार्य किए जाने हैं । वर्मी कंपोस्ट निर्माण का कार्य स्वच्छता विभाग के जिम्मे है।
-अविनाश कुमार झा
जिला समन्वयक मनरेगा

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