संस, सहरसा: बीते वर्षों में जलजमाव के कारण सहरसा नगर के आमलोग बाढ़ जैसी स्थिति का सामना करते रहे हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए वर्तमान डीएम अपने पदस्थापन काल से ही संबंधित अधिकारियों को निर्देश और चेतावनी दे रहे हैं। वहीं बेमौसम हुई बारिश ने शहर की जो हालात बनायी है, उससे जिला प्रशासन की चिता और बढ़ गई है। शहर को कोई मोहल्ला ऐसा नहीं है जहां सड़कों पर बारिश का पानी जमा नहीं हो। इसका मतलब साफ है कि इस मामूली बारिश के पानी को पचाने की क्षमता नालियों में नहीं है। ऐसे में मानसून उतरने के बाद लगातार होनेवाली बारिश के बाद स्थिति का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। गत वर्ष बारिश के बाद महीनों पटेल मैदान में पंपसेट से पानी फेंका जाता रहा। इस पानी निकासी के नाम पर पानी की तरह पैसे बहा दिए गए, परंतु कई मोहल्ले में अबतक पानी लगा है। उपर से बारिश की इस दस्तक ने लोगों का एकबार फिर होश उड़ा दिया है।
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नालियों पर करोड़ों खर्च, कबतक पंपसेट से निकलेगा पानी सहरसा। वर्ष 2017 में शहर में जिन लोगों ने जलजमाव देखा है, उसकी चर्चा करते ही उनके मानसपटल पर एक भयावह चित्र अंकित हो जाता है। मामला सीधे मुख्यमंत्री के संज्ञान में पहुंचा था। त्वरित पहल हुई थी। प्रथम चरण में वुडको को 51 करोड़ की लागत से 11 किलोमीटर नाला और संप हाउस के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया। इस कार्य को दिसंबर 2020 में ही पूरा होना था, जिसमें संप हाउस और कुछ क्षेत्र में नाला का निर्माण अब भी लंबित है। इस बीच पथ निर्माण विभाग द्वारा भी सड़कों के साथ कुछ नाला का निर्माण करवाया। यह दीगर बात है कि इसमें कुछ नालियां सड़क से उपर तो कुछ तैयार होने तक खराब गुणवत्ता के कारण जबाव देने लगी है। नगर परिषद द्वारा नालियों के निर्माण कर करोड़ों खर्च किया। परिणाम स्पष्ट है। इन राशियों से अभियंता व ठेकेदारों की भले ही चांदी कटी हो, परंतु विभिन्न श्रोत से इतनी राशि खर्च किए जाने के बाद आमलोगों की समस्या यूं ही बनी रही। इस वर्ष भी जिलाधिकारी द्वारा जलनिकासी के लिए संबंधित योजनाओं को समय पूर्व पूर्ण करने की चेतावनी तो दी जा रही है, परंतु स्थिति के मद्देनजर मोहल्ले के पानी की निकासी के लिए सूक्ष्म स्तरीय प्लान के साथ पंपसेट व्यवस्था पर भी बल दिया जा रहा है।