फर्जी शिक्षकों को बचा रही है शिक्षा विभाग

संवाद सूत्र, सहरसा: शिक्षा विभाग अपने कारनामे से हर हमेशा चर्चित रहे है। पिछले कई वर्षों से शिक्षा विभाग फर्जी शिक्षकों को बचाने में लगी हुई है। जिस कारण जांच होने के बाद भी इन शिक्षकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। सु्प्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिले में करीब सात सौ शिक्षक वर्ष 2012 में बहाल हुए थे। बहाली के दौरान ही विभाग ने यह निर्देश जारी कर दिया था कि इनके प्रमाण पत्रों की जांच के बाद ही वेतन भुगतान किया जाए। इस निर्देश के बाद भी शिक्षा विभाग ने कानून नियमों को ताक पर रखकर शिक्षकों का भुगतान करते रहे। जांच के बाद 78 शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करते पाए गए। इन शिक्षकों के विरूद्ध विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जांच रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालकर विभाग को करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। विभाग द्वारा गठित जांच समिति ने वर्ष 2015 में अपनी जांच रिपोर्ट समर्पित कर दी गयी। जिसमें 78 शिक्षको को फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति की गयी। इतना ही नहीं, विभाग फर्जी शिक्षकों को अब तक करोड़ों रूपये का भुगतान वेतन मद में कर चुकी है। शिक्षा विभाग में एक बड़ा रैकेट का पर्दाफाश हो सकता है अगर जिला प्रशासन इसकी निष्पक्षता से जांच करें तो विभाग के कर्मी की भी संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस बाबत सर्व शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी जियाउल होदा ने बताया कि वरीय अधिकारी के निर्देश पर इसकी जांच का निर्देश तत्कालीन डीपीओ को दिया गया था जिसकी जांच की जा रही थी।

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