अभियान : अनफिट एंबुलेंस के बूते चल रही मरीजों की जिदगी में सांस फूंकने की कवायद

जागरण संवाददाता, सुपौल : सुपौल जिले के स्वास्थ्य व्यवस्था की सबसे खराब स्थिति का नमूना और क्या हो सकता है कि अनफिट एंबुलेंस के बूते मरीजों की जिदगी में सांस फूंकने की कवायद की जा रही है। इस जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास फिलहाल 25 एंबुलेंस हैं। इन एंबुलेंसों में कई बेकार हो गई हैं, बावजूद इसके ऐसी एंबुलेंसों को सड़कों पर दौड़ाई जा रही है। कोई एंबुलेंस धक्का मार कर स्टार्ट होती है तो किसी की बाडी सही नहीं है। वैसे कहने भर के लिए विभाग के पास दो दर्जन से अधिक एंबुलेंस हैं। इन एंबुलेंसों में से तीन तो पूरी तरह नाकाम है और उसे स्थायी रूप से खड़ी कर दी गई है। बाकी एंबुलेंसों की स्थित देख यह कहना गलत नहीं होगा कि इनसे किसी तरह मरीजों को ढोया जा रहा है। सरकारी एंबुलेंसों की दयनीय स्थिति के चलते निजी एंबुलेंस वालों की चांदी कट रही है। निजी एंबुलेंस वाले मरीजों के स्वजन से मनमाना भाड़ा वसूल दिन दूना रात चौगुना कमाई कर रहे हैं। ---------------------------------------------


रद्दीकरण के बाद भी चल रही एंबुलेंस
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मौजूदा समय में सड़कों पर दौड़ाई जा रही एंबुलेंस में से 10 का रद्दीकरण कर दिया गया है, बावजूद इन एंबुलेंसों को परिवहन विभाग के लिए लिखा गया है। इस दिशा में विभाग द्वारा अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कुल मिलाकर देखा जाए तो फिलहाल विभाग के पास 12 एंबुलेंस ही ऐसी हैं जो कारगर हैं।
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भाड़े पर ली गई थी एंबुलेंस
कोरोना की दूसरी लहर में एंबुलेंस की कमी को भाड़े के एंबुलेंस से दूर की गई। उस समय लगभग आधा दर्जन एंबुलेंस भाड़े पर ली गई थी। एंबुलेंस के लिए अभी तक विभागीय स्तर पर ऐसा कोई निर्देश नहीं जारी किया गया है। विभागीय लोगों की मानें तो कोरोना की स्थिति को देखते हुए आनेवाले समय में लगभग एक दर्जन एंबुलेंस की जरूरत पड़ेगी। वैसे भी मरीजों को समय पर सरकारी एंबुलेंस मिल जाना भाग्य की ही बात होती है। ऐसे में निजी एंबुलेंस के अलावा कोई चारा नहीं बचता है।
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जिले में कहां कितनी हैं एंबुलेंस
सदर अस्पताल-6- (1 शव वाहन)
सुपौल (लौकहा)-1
किसनपुर-1
भपटियाही-2
राघोपुर-2
छातापुर-2
बलुआ बाजार-1
बसंतपुर-1
प्रतापगंज-1
त्रिवेणीगंज-1
पिपरा-1
निर्मली-2
मरौना-1

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