शहरी चकाचौंध से दूर है अनुसूचित जनजाति के लोग

संवाद सहयोगी, जमुई : आजादी के बाद भी जिले के अनुसूचित जनजाति के लोगों की पहुंच शहरों तक नहीं हो पाई है। इस बात की गवाही जमुई नगर परिषद द्वारा जारी मतदाता सूची दे रही है। लगभग 20 लाख की आबादी वाले जिले में मात्र 99 अनुसूचित जाति के लोग ही जमुई शहर में रह रहे हैं। शहर के 30 वार्ड में से मात्र 14 वार्ड में ही अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। जिनकी कुल संख्या 99 है। प्राप्त आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि आज भी अनुसूचित जाति के लोगों की पहुंच शहरी आबादी तक नहीं है।

जिले के 10 प्रखंडों में खैरा, सिकंदरा, चकाई, सोनो, बरहट, लक्ष्मीपुर में अनुसूचित जनजाति की आबादी अच्छी है, फिर भी शहरों तक इनकी पहुंच नहीं के बराबर है। नगर परिषद क्षेत्र जमुई में कुल मतदाताओं की संख्या 87 हजार 358 है। जिसमें से अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 88 सौ 74 हैं वहीं, अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या मात्र 99 है, जबकि अन्य जाति के मतदाताओं की संख्या 69 हजार 412 है। इसके पीछे शिक्षा का अभाव, शहरी दिनचर्या अपनाने में परेशानी मुख्य वजह मानी जा रही है।

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विशेषज्ञ की राय
अनुसूचित जनजाति के लोगों ने अपनी जीविका के मूल आधार को अभी तक नहीं छोड़ा है। वे आज भी जंगल तथा जमीन से जुड़े कामों को ही अपनी जीविका का मुख्य आधार मानते हैं। अभी भी इनका आधुनिकता से कोई लेना देना है। वे आज भी अपने ग्रामीण परिवेश में खुश हैं।
पंकज सिंह, समाजसेवी, जमुई
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नप में अनुसूचित जनजाति मतदाता का आंकड़ा
वार्ड नंबर -------- अनु. जन. मतदाता
01-------- 14 05-------------------06 06-------------------12 07------ -----------10 08--------------------06 09--------------------05 12--------------------18 13--------------------06 15--------------------01 18---------------------01 19---------- ----------01 22---------------------06 25---------------------07 26----------------------01 29----------------------02

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