औरंगाबाद में 68 नक्सल कांडों में आरोपित था कुख्यात नक्सली संदीप

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद : भाकपा माओवादी के कुख्यात नक्सली संदीप यादव की मौत से माओवादी नक्सल संगठन को बड़ा नुकसान हुआ है। कुख्यात नक्सली औरंगाबाद के 68 नक्सल कांडों में शामिल था। सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के अधिकांश घटनाओं में यह शामिल था। 19 जुलाई 2016 को लुटुआ के डुमरीनाला जंगल में सुरक्षाबलों एवं नक्सलियों से हुई मुठभेड़ के दौरान सीरियल आइईडी ब्लास्ट में कोबरा के दस जवान बलिदान हुए थे और दर्जनों जवान घायल हुए थे। कोबरा के इतिहास में यह सबसे बड़ी घटना थी। इस घटना में संदीप शामिल था। तब बिहार एवं केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा इसकी गिरफ्तारी को लेकर संयुक्त रणनीति बनाई गई थी पर पकड़ा गया था। सभी कांडों में आरोपित था और फरार था। इसी गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से सभी कांडों में वारंट निर्गत था पर पकड़ा नहीं गया था। इसी गिरफ्तारी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की एजेंसियों से लेकर बिहार, झारखंड समेत कई अन्य राज्यों की पुलिस व खुफिया एजेंसी लगी थी। कुख्यात नक्सली औरंगाबाद एवं गया जिला के सीमा क्षेत्र की छकरबंदा जंगल में एकछत्र राज करता था। इसकी सुरक्षा में आधुनिक हथियार से लैस माओवादी कैडर रहते थे। तीन लेयर की सुरक्षा में यह रहता था। मोबाइल का प्रयोग नहीं करता था। सीरियल आइईडी के बीच में रहता था संदीप


संदीप की सुरक्षा आधुनिक हथियार से लैस माओवादी नक्सली तो तैनात रहते ही थे इसकी सुरक्षा में नक्सली छकरबंदा के जंगल में सीरियल आइईडी लगा रखे हैं। जब सीआरपीएफ एवं कोबरा के जवान जिला पुलिस के साथ इसके ठिकाने पर पहुंचते थे नक्सलियों से मुठभेड़ हो जाती थी। नक्सली छकरबंदा के जंगल में सीरियल आइईडी विस्फोट करने लगते थे। जंगल में नक्सली प्रेशर बम से लेकर कमांड आइईडी लगा रखे हैं। पांच वर्षों का आंकड़ा देखे तो जंगल से सुरक्षाबलों ने 500 से अधिक आइईडी बरामद कर चुके हैं और डिफ्यूज कर चुके हैं। कई जवानों को देनी पड़ी है बलिदानी
संदीप को पकड़ने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा छकरबंदा के जंगल में कई नाम से सर्च आपरेशन चलाया गया है। अभियान के दौरान दो दर्जन से अधिक सुरक्षाबलों को बलिदानी देनी पड़ी है। वर्तमान में सैडो अभियान चलाया जा रहा है। इसकी गिरफ्तारी एवं छकरबंदा के जंगल को नक्सलमुक्त करने को लेकर मदनपुर के तरी, देव थाना क्षेत्र के विश्रामपुर, गया के लुटुआ थाना के नागोबार में सीआरपीएफ का कैंप स्थापित किया गया है। ढिबरा थाना क्षेत्र के भलुआही में एसएसबी का कैंप स्थापित किया गया है। छकरबंदा के जंगल में करीब दो सौ जवानों को करीब दो माह से कैंप कराया गया है और प्रतिदिन छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा अन्य कैंप भी स्थापित की गई है। फिर भी संदीप सुरक्षाबलों के हाथ नहीं लगा। बीमारी से मौत हो गई। मौत की सूचना मिलते ही न सिर्फ जिला पुलिस बल्कि सुरक्षाबलों के भी राहत की सास ली है। वर्ष 2018 में इडी ने जब्त की थी संपत्ति
संदीप जब जिला पुलिस एवं सुरक्षाबलों के हाथ पकड़ा गया तब ईडी के द्वारा वर्ष 2018 में इसके एवं इसके भाई, दामाद, पुत्री समेत अन्य स्वजनों के नाम संपत्ति व बैंक एकाउंट को अटैच व फ्रिज किया था। कार्रवाई के तहत जिला मुख्यालय के जीटी रोड किनारे मोटल जेके के पीछे स्थित मकान को भी अटैच किया था तब संदीप की शिक्षिका पत्नी मकान में मौजूद थीं। आजतक मकान में ताला लगा है। ईडी का पोस्टर लगा है।

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