अनुसंधान की दिशा बदलने पर डीआइजी ने उठाया सवाल

जासं, सहरसा: मधेपुरा जिला के मुरलीगंज थाना में दर्ज हत्या के एक मामले में कोसी रेंज के डीआइजी शिवदीप वामनराव लांडे ने पर्यवेक्षण पर सवाल खड़ा कर दिया है। डेढ़ साल के बाद अनुसंधान की दिशा बदलने व आठ अभियुक्त पर साक्ष्य की कमी को न्याय संगत नहीं मानते हुए एसपी को 10 बिदुओं पर जांच का निर्देश दिया है।---

क्या है मामला
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नगर पंचायत मुरलीगंज के वार्ड नंबर 11 के अरविद कुमार डिपल ने थाना में आवेदन देकर पुत्री ऋतिका कुमारी के गायब होने का केस दर्ज कराया था। पर्यवेक्षक एवं प्रतिवेदन दो में इस मामले में कुमार आनंद, वादी अरविद कुमार डिपल, वादी की पत्नी पूनम देवी, अविनाश कुमार, अमित कुमार, गुड़िया कुमारी, अन्नू देवी, ऋषिका कुमारी, प्रिया प्ररेणा, वादी के स्कोर्पियो चालक धीरज कुमार उर्फ मुखिया तथा अरिवंद कुमार मुखिया के घर के अन्य बालिग सदस्य एवं अन्य बाइक पर सवार दो अज्ञात के विरूद्ध सत्य पाया गया। जिसके बाद आरोपित कुमार आनंद एवं धीरज कुमार उर्फ मुखिया को जेल भेज दिया गया। दोनों के विरुद्ध न्यायालय में 12 मार्च 2021 को आरोप पत्र भी समर्पित कर दिया गया। अनुसंधान के क्रम में ही प्रतिवेदन चार के अवलोकन से पाया गया कि डीआइजी कार्यालय से जांच हेतु भेजे गये आवेदन पत्रों के आलोक में समीक्षा निर्गत किया है।

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डीआइजी ने कई बिदुओं पर जांच का दिया निर्देश
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डीआइजी ने कहा है कि कांड के अभिलेख के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि यह आनर किलिग का मामला है। अनुसंधान में आए साक्ष्य के आधार पर ही पर्यवेक्षण व प्रतिवेदन दो में अप्राथमिकी अभियुक्तों के विरुद्ध सत्य पाया गया। मृतका के अंत: वस्त्र की जांच एफएसल से अबतक अप्राप्त है। बावजूद घटना के करीब डेढ़ साल के बाद सही दिशा में चल रहे अनुसंधान की दिशा को बदलकर शेष अभियुक्तों के विरुद्ध साक्ष्य की कमी बताया जाना न्याय संगत नहीं है। डीआइजी ने कहा है कि नौ दिसंबर 20 को ऋतिका के स्वजनों द्वारा थानाध्यक्ष को फोन किया गया कि ऋतिका सुबह से गायब है। इस बिदु पर कोई अनुसंधान नहीं किया गया। 10 दिसंबर 20 को केस अज्ञात के खिलाफ दर्ज कराई गई। 12 दिसंबर 20 को ऋतिका का शव बरामद हुआ। अनुसंधान के क्रम में यह ज्ञात हुआ कि ऋतिका का आनंद कुमार के साथ चार-पांच वर्षों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। जिसका घर के लोग विरोध करते थे जो स्वभाविक है। लेकिन घटना के कुछ दिन पहले से ही आनंद कुमार ने ऋतिका से फोन पर बात करना बंद कर दिया और ऋतिका के मोबाइल को ब्लाक कर दिया गया। ऋतिका के पिता का स्कोर्पियो चालक धीरज कुमार का अपराध स्वीकारोक्ति बयान के आलोक में यह मामला आनर किलिग में बदल गया। तकनीकी अनुसंधान से यह ज्ञात हुआ कि उनके पिता के स्कोर्पियो का जीपीएस 19 जुलाई 2018 से सात दिसंबर 2020 तक एक्टिव था। परंतु आठ दिसंबर 20 से नौ दिसंबर 20 को सर्वर पर नो डाटा फाउंड शो है। जबकि 10 दिसंबर 20 से जीपीएस एक्टिव पाया गया यह भी पर्याप्त साक्ष्य है।
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बेल पर छूटने के बाद भी लिया आरोपित का बयान
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डीआइजी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि साक्षी बिनू पासवान जब आठ दिसंबर 20 को पूर्णिया से लौटी थी तो डिपल पासवान के घर के पास महिला के बचाओ-बचाओ की आवाज सुनी थी और आवाज अचानक बंद हो गई। यह भी पर्याप्त साक्ष्य है। उन्होंने कहा कि सबसे आ‌र्श्चजनक यह है कि आरोपित धीरज कुमार उर्फ मुखिया के जमानत पर छूटने के बाद फिर से पुन: बयान लिया गया। उन्होंने पुलिस अधीक्षक मधेपुरा को निदेशित किया है कि स्पष्ट रूप से यह आनर किलिग का मामला है। उन्होंने विशेष दूत भेजकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला से जांच प्रतिवेदन प्राप्त करने और अनुसंधान में आये साक्ष्य के आधार पर अगला प्रतिवेदन निर्गत करने को कहा है।

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