प्रधानमंत्री कृषि सूक्ष्म सिचाई योजना से 180 एकड़ खेत आच्छादित

जागरण संवाददाता, सुपौल : विभाग ने प्रधानमंत्री कृषि सूक्ष्म सिचाई योजना के क्रियान्वयन में लक्ष्य से तीन फीसद अधिक खेतों में सिचाई की इस नई प्रणाली को स्थापित किया है। कृषि निदेशालय द्वारा की गई रैंकिग में सुपौल की उपलब्धि 103 फीसद रही। सरकार द्वारा गत वित्तीय वर्ष में जिले को 176 एकड़ खेत में इस योजना के तहत ड्रीप स्प्रिंकलर और रेनगन लगाने का लक्ष्य दिया था। इसके एवज में विभाग ने 180 एकड़ खेत में सिचाई की यह नई तकनीक स्थापित किया। इस योजना से जिले के 67 किसान लाभान्वित हुए हैं। इस उपलब्धि ने जिले को राज्य में दूसरा स्थान दिलाया है। इस पद्धति से सिचाई में जल की बचत तो होती ही है साथ उत्पादन भी अधिक होता है।

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सिचाई की है यह नवीनतम और उन्नत तकनीक
जल की अधिकता के कारण जिले में लोग इसकी महता नहीं समझ पा रहे हैं। जल का दुरुपयोग आम बात है। सिचाई में तो जल के खर्च में लोग और उदार हो जाते हैं। पौधों की जितनी जल की आवश्यकता नहीं होती उससे अधिक दे दिया जाता है। कृषि विज्ञानी भी इस बात को मानते हैं कि अधिक पानी देने से फसलों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा सिचाई में लागत भी अधिक लगती है, इससे आमदनी प्रभावित होती है। पीएम कृषि सूक्ष्म सिचाई एक नवीनतम और उन्नत सिचाई प्रणाली है। इसके द्वारा पौधों के जड़ों में विशेष रूप से निर्मित प्लास्टिक पाइप द्वारा कम अंतराल पर पानी दिया जाता है। इसमें पारंपरिक सिचाई की तुलना में 60 फीसद कम जल की खपत होती है। इस प्रणाली के अंतर्गत ड्रिप सिचाई पद्धति स्प्रिंकलर सिचाई पद्धति एवं रेनगन सिचाई पद्धति का उपयोग किया जाता है। इससे लगभग 25 से 30 फीसद उर्वरक की बचत होती है वहीं इस नई प्रणाली से फसल के उत्पादन में 40 से 50 तक की वृद्धि तथा उत्पादन की गुणवत्ता उच्च होती है।
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विभाग को है उम्मीद
विभाग को उम्मीद है कि किसानों के खेतों में लगी इस प्रणाली को देखने के बाद अन्य किसान भी इसके उपयोग को अपनाएंगे। आनेवाले दिनों में इस पद्धति से सिचाई से आच्छादित होनेवाला रकबा बढ़ेगा और किसानों की खुशहाली बढ़ेगी।

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