यहां कुछ तुम सुनो, कुछ सुनाएं हम

जागरण संवाददाता, खगड़िया : दैनिक जागरण की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन को सुनने दूरदराज के गांवों से लोग शनिवार कि शाम केएन क्लब खगड़िया पहुंचे थे। लोगों ने अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का भरपूर मजा लिया और हंसते हंसते लोटपोट हो गए। जैसे-जैसे रात होती गई, कवियों की प्रस्तुति पर तालियों व ठहाके की आवाज बढ़ती गई। कविता सुनने आए लोगों ने दैनिक जागरण की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि खबरें ही नहीं बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी दैनिक जागरण की भूमिका दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है और जागरण की पहल सराहनीय भी है। मिले ताली तो इस धरती को नैनीताल कर दूंगी

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दैनिक जागरण के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में अपनी अपनी विधा के मशहूर कवियों ने हिस्सा लिया। नैनीताल से आई प्रेम और श्रृंगार रस की कवियित्री गौरी मिश्रा ने कहा कि हास्य को सुन लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट आई है। लेकिन मेरा मानना है कि जिदगी में अगर प्यार आ जाए तो जिदगी अपने आप मुस्कुराने लगती है। उन्होंने दैनिक जागरण के संबंध में कहा कि चलो इस जागरण में मुस्कुराए, खिल खिलाए हम, यहां कुछ तुम सुनो, कुछ सुनाएं हम, गुनगुनाए हम, मिले माहौल तो जज्बात की महफिल सजाए हम। बजाएं तालियां तो जिदगी के गीत गाए हम। मोहब्बत के नाम से चार पंक्तियां पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि बीमारी इश्क में दिल की दवा के साथ आई है, मोहब्बत की अनोखी अदा के साथ आई है। महकने लग गई तेरे शहर की हर गली में नैनीताल की ताजी हवा के साथ आई हूं। उन्होंने आगे कहा कि मिलाकर वक्त से आंखें हर एक लम्हा चुरा ले हम, जो अपना हो नहीं सकते उन्हें अपना बना ले हम, यहां ढूंढे से भी खुशियां मिलती कहां, मिलती जमाने में, चलो अपने ही गम पर थोड़ा मुस्कुरा ले हम। आगे कहा, बहुत नादान है यूं तो यह नैनीताल की गोरी, मिले ताली तो इस धरती को नैनीताल कर दूंगी। उन्होंने मां के संबंध में कविता के जरिए कहा कि नजर भर कर जो मैं आशियां को देख लेती हूं, उसी एक पल में सारे गुलिस्ता को देख लेती हूं, सफर में साथ रखती हूं मैं एक छोटा सा आइना, खुद अपनी ही शक्ल में अपनी ही मां को देख लेती हूं।

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