पिता-पुत्री को गोली मारने मामले में तीन को 10 वर्ष कारावास की सजा

-अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम की कोर्ट ने सुनाई सजा

जागरण संवाददाता, सुपौल : जान मारने की नीयत से पिता-पुत्री को गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिए जाने के एक मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम संजय कुमार चतुर्थ की कोर्ट ने तीन लोगों को दोषी करार करते हुए 10 वर्ष कारावास तथा 30 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई है। मामला किशनपुर थाना कांड संख्या 25/20 तथा सत्रवाद संख्या 51/21 से संबंधित है, जिसमें किशनपुर थाना क्षेत्र के नौआबाखर वार्ड नंबर 9 निवासी बेचन प्रसाद यादव और उनकी पुत्री अंजू भारती को उस समय गोली मार दी गई थी जब वे दोनों थरबिट्टा बाजार से सामान की खरीदारी कर वापस अपने घर लौट रहे थे। घायल बेचन प्रसाद यादव के बयान पर उक्त मामला दर्ज किया गया था। पुलिस को दिए बयान में उन्होंने कहा था कि 9 फरवरी 2020 को वे और उनकी पुत्री अंजू भारती शाम करीब 5 बजे थरबिट्टा बाजार से सामान खरीदारी कर मोटरसाइकिल से अपने घर वापस जा रहे थे। जैसे वे थरबिट्टा कोसी बांध के महावीर मंदिर के पास पहुंचे तो पहले से घात लगाए गांव के ही चंद्र किशोर यादव, इंद्र कुमार यादव, कामेश्वर यादव समेत कुछ अन्य लोगों ने उन्हें घेर लिया और जब तक कुछ समझते कि बदमाश इन दोनों पर गोली चलाने लगे। एक गोली उन्हें और एक उनकी पुत्री को लगी। गोली लगने के बाद पिता-पुत्री गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलावस्था में ही दोनों जान बचाने की नीयत से एक गेहूं के खेत में भागे और हल्ला करने लगे। हल्ला सुन जब आसपास के लोग आने लगे तो लोगों को आते देख बदमाश वहां से भागने लगे। तत्पश्चात इसकी सूचना किशनपुर थाना को दी गई। सूचना पर पहुंची पुलिस द्वारा उन दोनों को इलाज हेतु अस्पताल ले जाया गया।

सुनवाई उपरांत उक्त कोर्ट ने चंद्र किशोर यादव, इंद्र कुमार यादव तथा कामेश्वर यादव को दोषी करार करते हुए भादवि की धारा 147 के तहत दो वर्ष कारावास, धारा 148 के तहत तीन वर्ष कारावास, धारा 341 के तहत एक वर्ष कारावास, धारा 504 के तहत दो वर्ष कारावास, धारा 506 के तहत दो वर्ष कारावास, धारा 307 के तहत 10 वर्ष कारावास तथा 20 हजार रुपये अर्थदंड, अर्थदंड नहीं देने पर तीन माह अतिरिक्त कारावास तथा धारा 27 शस्त्र अधिनियम के तहत तीन वर्ष कारावास तथा 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर एक माह का साधारण कारावास भुगतना होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जहां सुनाई गई सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी वहीं पूर्व में कारा में बिताई गई अवधि सुनाई गई सजा में समायोजित की जाएगी। इस पूरे मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक सारंग कुमारी तथा बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता वीरेंद्र कुमार झा, उमेश कुमार चौधरी तथा पवन कुमार ने बहस में हिस्सा लिया।

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