दैनिक जागरण ने सजाई ठहाकों की महफिल, हंसते-हंसते कट गई रात

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। दैनिक जागरण ने एक बार फिर पूर्णिया में ठहाकों की अनोखी महफिल सजाई। गुरुवार की शाम शहर के कलाभवन प्रशाल में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में पहुंचे देश के नामचीन कवियों ने ऐसा समां बांधा कि बस हंसते-हंसते आधी रात कब कट गई, किसी को पता ही नहीं चला। हास्य सम्राट शशिकांत यादव ने इस पूरे कार्यक्रम के संचालन की कमान थाम रखी थी। नामचीन कवयित्री अनामिका अंबर जैन, ओज की मलिका कविता तिवारी, हास्य के पर्याय सुदीप भोला व कमलेश राजहंस ने इसमें विविध रंग भरकर इस शाम को ही सतरंगी बना दिया। श्रोताओं से भरा यह प्रशाल पूरे कार्यक्रम के दौरान तालियों से गूंजता रहा। इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर सदर भाजपा विधायक विजय खेमका, निवर्तमान डिप्टी मेयर विभा कुमारी, पनोरमा ग्रुप्स के निदेशक संजीव मिश्रा, बिजेंद्र पब्लिक स्कूल के प्रबंध निदेशक भानू भाष्कर, सदर एसडीपीओ एसके सरोज, जदयू के वरिष्ठ नेता जितेंद्र यादव व जॉनी किड्स के निदेशक त्रिदीप दास ने किया। इस दौरान सभी कवि भी मौजूद रहे। उद्घाटन के बाद हास्य सम्राट शशि कांत यादव ने मंच की कमान संभाल ली। उन्होंने अपनी कविता तोला से मन भर बोला है, काटा पानी में घोला है, सब कीड़े बाहर निकले, चुटकी भर तो सच बोला है.., से सबका दिल जीत लिया। इसके अलावा भी उन्होंने कई अन्य रचनाओं से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। राजनीति पर व्यंग्य के लिए चर्चित सुदीप भोला ने यहां भी राजनेताओं को जमकर लपेटा। सुदीप भोला ने बाबा जी को समझा था क्या कच्चा बदाम, साइकिल धड़ाम. से उन्होंने यूपी की सियासत पर खूब टिपण्णी की। उन्होंने अपने गीत से भी लोगों को खूब गुदगुदाया।


ओज की कवयित्री कविता तिवारी ने कुछ देर के लिए लोगों को राष्ट्रभक्ति के रंग में डूबो दिया। धरा की लाज वीरों की पराक्रम पर टिकी होगी, हर एक कण पर समर्पण की इबादत भी लिखी होगी.. के जरिए लोगों की जमकर वाहवाही लूटी। यह कड़ी यही नहीं टूटी। नामचीन कवयित्री अनामिका अंबर ने जब माइक थामा तो लोग पहले की उनकी पंक्ति गुनगुनाने लगे। कभी दरिया के अंदर भी समंदर जाग उठता है.. पर बस तालियां गूंजती रही। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे डा. कमलेश राजहंस भी इसमें कहीं से पीछे नहीं रहे। राजहंस ने अपनी रचना जयचंदों का सम्मान करुं तो मुझको जहर पिला देना, नादिरशाहों का मान करुं तो तो मुझे जिदा जला देना, यदि शब्द हुए गद्दार मेरे तो कलम तोड़ कर रख देना.. पर खूब वाहवाही लूटी..।

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