शहर की शोभा बिगाड़ रहे गंदे नाले, हर माह सफाई पर खर्च हो रहे 22.89 लाख

संवाद सूत्र, मधेपुरा: नगर परिषद के 26 वार्डो की सड़कों व उससे होकर गुजरने वाले नालों की सफाई के लिए नगर परिषद द्वारा हर माह 22 लाख 89 हजार 300 रुपये तो खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके शहर में फैली गंदगी और नालों से निकल रही बदबू शहर की शोभा बिगाड़ रही है।

शहर से गुजरने वाले मुख्य नालों समेत मोहल्लों से गुजरने वाली नालियां लोगों के जान के दुश्मन बनी हुई हैं। कहीं नंगी नालियां किसी अप्रिय घटना की तलाश में है तो कहीं पालीथिन व कचरों से भरी नालियां संक्रामक रोगों को आमंत्रित कर रही हैं। नालियां जाम रहने के कारण पानी को निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा है लिहाजा सड़कों पर जलजमाव आम है। मोहल्लेवासी परेशान हैं। वर्तमान में बरसात के समय शहर के कई इलाको में पानी सड़कों पर बहने से स्थिति और भी बद से बदतर हो गई है। शहर के अंदर वार्डो की बात तो दूर मुख्य मार्ग पर भी गंदे जल का बहाव पिछले कई दिनों से होता चला आ रहा है, लेकिन नगर परिषद द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

नाले जाम होने के क्या हैं कारण जब शहर में नाला जाम होने की पड़ताल की गई तो निम्न बातें सामने आई।
-नालों पर पालीथिन का भरा होना
-बेकार कागज व कचरे का जमा होना
-बारिश के कारण नाला में पानी का भर जाना
-शहर के किसी भी नाले का नदी तक जुड़ाव नहीं होना
अतिक्रमण के शिकार हैं नाले जिला मुख्यालय में शहर के बगल से होकर गुजरने वाले नाले अतिक्रमणकारियों के शिकार हो गए हैं। आलम यह है कि नालों पर कई जगह फुटपाथ की दुकानें लगाई गई हैं। कई स्थानों पर गैरेज अथवा अन्य प्रतिष्ठान संचालित है। लगभग 15 दिन पूर्व सदर एसडीओ के निर्देश पर शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था जिसमें नालों पर से दुकान को हटा दिया गया था, लेकिन समय गुजरने के साथ-साथ फिर से दुकानदारों ने नालों के प्लेट पर अपना कब्जा जमा लिया है।
पालीथिन बिक्री पर रोक बेअसर
राज्य सरकार ने साल 2018 से ही पालीथिन की खरीद-बिक्री और उपयोग पर रोक लगाने की घोषणा की थी। जारी घोषणा में कहा गया था कि इस नियम के उल्लंघन करने वालों को पांच साल का जेल दिया जाएगा व जुर्माना भी किया जाएगा, लेकिन सरकार के इस आदेश का माखौल व्यवसायी समेत पदाधिकारी भी उड़ा रहे हैं। चार साल बाद भी जिले में धड़ल्ले से पालीथिन की खरीद-बिक्री और उपयोग हो रहा है, जिसके कारण नालों में पालीथिन का अंबार लगा रहता है। पालीथिन के थोक विक्रेता संतोष कुमार की माने तो जिले में हर रोज पांच क्विंटल से अधिक पालीथिन का कारोबार हो रहा है जिसमें 50 लाख से अधिक की पूंजी लगी हुई है।
कोट
शहर में पालीथिन की खरीद-बिक्री और उपयोग करने वालों पर जुर्माना का प्रावधान है। इस बावत नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वे इस नियम के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। इसके लिए छापेमारी करने का निर्देश दिया जाएगा। नीरज कुमार, सदर एसडीओ, मधेपुरा
शहर के नाले सालों से जाम हैं। नाले का पानी सड़कों पर बह रहा है। लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। -राजीव कुमार रंजन, अधिवक्ता
नाले के साथ ही इलाके की अधिकांश नालियां भी जाम पड़ी हुई हैं। नियमित सफाई नहीं होने के कारण जगह-जगह गंदगी फैली हुई है। -डा. भूपेंद्र नारायण यादव
मधेपुरी, स्थानीय नागरिक नाले की सफाई के लिए कई बार अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आज तक कोई भी समस्या को देखने तक नहीं आया। इससे बच्चों और बुढ़ों को संक्रमित होने का खतरा है। -डा. ओम नारायण यादव शहर की आबादी लाखों में है। हर माह 22 लाख से अधिक रुपये सफाई के नाम पर खर्च किए जाते हैं। बावजूद हालत नारकीय है। -आनंद प्राणसुखका,
उपाध्यक्ष, जिला व्यापार संघ

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