सावन भादो की बात छोड़िए, यहां वैशाख और जेठ में भी जलजमाव

जागरण संवाददाता, खगड़िया। खगड़िया शहर में नाले बने हैं। कई नालों का जीर्णोद्धार भी हुआ है। लेकिन आम और खास सभी की लापरवाही, विभागीय उदासीनता आदि के कारण शहर को जल जमाव से मुक्ति नहीं मिली है। कई जगहों पर नाले पर अतिक्रमण है। पालिथीन समेत कई सामग्रियां लोग नाले में ही फेंक देते हैं। इससे नाले जाम हो जाते हैं। पालिथीन पर रोक कागजी ही साबित हुआ है। इससे बरसात के मौसम में जिला मुख्यालय की कई सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती है। सड़कों की बात ही छोड़िए कई मोहल्ले टापू में बदल जाते हैं। मूसलाधार बारिश होने पर घरों में पानी प्रवेश कर जाता है। ऐसा नहीं है कि नगर प्रशासन इससे मुक्ति का प्रयास नहीं करता। हर साल नाला उड़ाही पर नगर परिषद लाखों रुपये पानी की तरह बहा देता है, लेकिन बारिश में शहर की स्थिति नारकीय बनी रहती है। आज भी सही ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के कारण शहर के भारती नगर की सड़क पर हर दो दिन पर घुटने भर पानी भर जाता है। जिसे नगर परिषद की टैंकर के सहारे निकाला जाता है। फोटो कोट के साथ

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शहर में ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था नहीं है। जिस कारण हर साल बारिश के समय शहर वासियों को जल जमाव की समस्या से जूझना पड़ता है। महिलाओं को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोग भी समझदारी से काम नहीं लेते हैं। पालिथीन और कचड़े नाले में डाल देते हैं। शहरी क्षेत्र में बड़े-बड़े गड्ढों को भी भरकर वहां मकान बना दिया गया है। इससे भी जल जमाव है।
पल्लवी सिंह, गृहिणी।
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2019 में पूरा शहर 40 मिनट की बारिश में जलमग्न हो गया था। वह भी अक्टूबर माह में। सोचने वाली बात है कि नगर परिषद द्वारा करोड़ों रुपये शहर वासियों की सुविधा के नाम पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन बरसात के समय जल निकासी की सारे दावे धरातल पर फेल कर जाते हैं।
अश्वनी कुमार सिंह, इलेक्ट्रिक इंजीनियर।
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नाले तो बने हैं। समय-समय पर उड़ाही भी होती है। लेकिन जल बहाव की अब तक ठोस योजना नहीं बनने से बरसात का समय शहर वासियों के लिए संकटकाल होता है। जब तक नगर परिषद की ओर से सिस्टम को सुधारने के लिए बेहतर रोडमैप तैयार नहीं किया जाएगा, तब तक जल जमाव की समस्या से निपटना असंभव है।
संजीव कुमार, इंजीनियर।
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नगर परिषद को चाहिए कि सभी नाले को जोड़ दिया जाए। जिससे एक नाले का पानी दूसरे नाले में कनेक्ट हो जाए। पानी के बहाव का संतुलन बना रहेगा। वहीं इसकी निकासी के लिए बेहतर मार्ग तलाश कर पूरी ईमानदारी से इस पर काम किया जाए। राह में आने वाले रोड़े को हटाया जाए।
सत्यम पुष्कर झा, जीएसटी कंसल्टेंट
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नाले तो खूब बने हैं, लेकिन बनाने से पहले उसकी उपादेयता पर विचार नहीं किया गया है। इसलिए अधिकांश नाले बरसात में कष्ट का कारण बनते हैं। शहर में जल जमाव की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। भारती नगर, बैंक रोड में तो वैशाख और जेठ में भी पानी जमता है। पूरे शहरी क्षेत्र में आरसीसी नाले को ईमानदारी के साथ बनाकर जल निकासी के लिए निचले भू-भाग को तलाश किया जाए। नगर परिषद भी खानापूर्ति करती है। वहीं कई जगह लोगों ने नाले का अतिक्रमण कर लिया है। जिसे अतिक्रमण मुक्त कराना जरूरी है।
अंशुमान अरविद, बीटेक इंजीनियर और विशेषज्ञ

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