अब लाल आतंक से मिलेगी मुक्ति, योजनाओं में बाधक नहीं बनेगी लेवी

अजय कुमार अजय, चानन (लखीसराय) : नक्सली दस्ते में शामिल होने के एक साल बाद ही बालेश्वर कोड़ा, अर्जुन कोड़ा एवं नागेश्वर कोड़ा का कब्जा मुंगेर-जमुई एवं लखीसराय की सीमाओं के बीच के जंगलों में हो गया था। इलाके के अनुसूचित जनजाति के बीच गहरी पैठ की वजह से दस्ते का विस्तार करने में मदद मिली और कम समय में ही यह क्षेत्र लाल आतंक का पर्याय बन गया। बालेश्वर कोड़ा एवं अर्जुन कोड़ा एक ही गांव जमुई के बरहट थाना अंतर्गत चोरमारा का जबकि नागेश्वर कोड़ा मुंगेर जिले के धरहरा थाना अंतर्गत जतकुटिया गांव का रहने वाला है। पहाड़ी और जंगलों के बीच बसे इन गांवों में अब भी पुलिस की पहुंचने की हिम्मत नहीं होती थी। लेकिन सरकार के सार्थक प्रयास ने रंग लाया। अपनी संभावित मौत को देखते हुए तीनों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इससे अब लखीसराय जिले में लाल आतंक से मुक्ति मिलने की उम्मीद है। सरकारी योजनाओं में लेवी भी अब बाधक नहीं बनेगी। चूंकि बालेश्वर कोड़ा और नाराययण कोड़ा जहां मारक दस्ते की कमान संभाल रखे थे वहीं अर्जुन कोड़ा लेवी वसूली करने का जिम्मा संभाल रखे थे। यही वजह है कि लखीसराय के चानन, पीरी बाजार एवं कजरा थाना क्षेत्र की एक भी सरकारी योजनाओं का काम बिना लेवी दिए पूरा नहीं होता था। इस इलाके के धनी लोगों से लेवी लेने एवं फिरौती लेने के लिए अपहरण की घटना को अंजाम दिया जाता था। बालेश्वर व अर्जुन कोड़ा पर सरकार ने 50-50 हजार एवं नागेश्वर कोड़ा पर एक लाख का इनाम घोषित कर रखा था। वर्ष 2005 के 15 जनवरी को मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू सहित छह पुलिस कर्मियों को बम विस्फाट करके उड़ाने से एक दिन पहले कजरा स्टेशन स्थित पुलिस बैरक को लूट लिया गया। इस क्षेत्र में यह पहली नक्सली घटना थी। इसके बाद तो धीरे-धीरे नक्सलियों का साम्राज्य ही स्थापित हो गया। वर्ष 2010 के 29 अगस्त को कजरा थाना क्षेत्र के राजकोल घाट में पुलिस से मुठभेड़ में तत्कालीन वर्ष 2013 के 13 जून को कुंदर हाल्ट पर धनबाद-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन पर हमला करके एस्कार्ट में रहे आरपीएफ जवान व एक एसआइ समेत तीन की हत्या कर हथियार लूट लिया था। इसमें भी बालेश्वर व अर्जुन सक्रिय थे। बालेश्वर कोड़ा उर्फ मुखिया जी का नजदीकी संबंध कई पंचायत प्रतिनिधियों से रहा है। इस कारण क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से राशन-पानी के नाम पर लेवी लिया जाता रहा। उक्त तीनों पर लखीसराय जिले के थानों में कुल 80 केस दर्ज है।

बारिश के इंतजार में हैं किसान, धान के बिचड़ा की बोआई हो रही प्रभावित यह भी पढ़ें
----
संगठन के लोगों को भी दी थी मौत की सजा
बालेश्वर कोड़ा ने सिर्फ पुलिस वालों को ही नहीं मारा। संगठन विस्तार में जो भी बाधक बना उसे रास्ते से हटा दिया। धरहरा, कजरा, चानन व जमालपुर के एरिया कमांडर बनने के बाद उसके मारक दस्ते ने अपने ही साथी कजरा थाना क्षेत्र के मुस्तफापुर के गौतम तांती, शिवडीह के सनी राम, संग्रामपुर पंचायत के उपमुखिया वीरेंद्र कोड़ा, लक्षमीनिया के ललन यादव, अमारी के मुकेश बिद उर्फ गोपाल, पंकज राम के भांजा गोरे राम की पुलिस मुखबिरी एवं अन्य आरोप में हत्या कर दी।

अन्य समाचार