बारिश के इंतजार में हैं किसान, धान के बिचड़ा की बोआई हो रही प्रभावित

संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा)। कोसी के इस इलाके के किसानों को हमेशा प्राकृतिक आपदा से लड़ने की एक आदत सी बन गई है। इस क्षेत्र के किसान कभी सुखाड़, कभी आंधी-तुफान तो कभी बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदा को हर साल झेलते आ रहे हैं।

विगत दो साल से मौसम की बेरूखी अदा से बेमौसम बारिश के साथ-साथ समय पर बारिश नहीं होने के कारण खरीफ फसल खासकर धान की फसल पर संकट गहराता जा रहा है। इस वर्ष प्रखंड क्षेत्र में वृहत पैमाने पर अनुदानित दरों पर विभागीय स्तर से किसानों के बीच धान बीज का वितरण किया गया है। प्रखंड क्षेत्र के शत-प्रतिशत उपजाऊ जमीन में इस बार कृषि विभाग की देखरेख में धान का फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित गया है। इसके लिए अनुदानित दर पर उपलब्ध कराए गए धान का बिचड़ा गिराया जाना है। लेकिन किसान बारिश के इंतजार में हताश होकर महंगी दरों पर पंपसेट के सहारे बिचड़ा गिराने को मजबूर हैं। जबकि कृषि विभाग की मानें तो 15 जून से ही धान की फसल की रोपणी शुरू की जानी है। लेकिन प्रखंड क्षेत्र के किसान फिलहाल बिचड़ा गिराने की तैयारी में लगे हैं। साथ एक-दो सप्ताह पूर्व गिराए गए बिचड़ा पानी के अभाव में पीला पड़ने लगा है।

कृषि विभाग की मानें तो अगले कुछ दिनों तक अगर बारिश नहीं हुई तो प्रखंड क्षेत्र की स्थिति और भयावह हो सकती है। प्रखंड क्षेत्र के गिने-चुने साधन संपन्न किसानों को छोड़कर अधिकांश किसान मौसम की मार व सूखे खेत देखकर सुखाड़ की आशंका से सहमे हुए हैं। प्रखंड क्षेत्र के कुरसंडी, सपरदह, औराय, नरदह, गणेशपुर, पुरैनी, बंशगोपाल, मकदमपुर व दुर्गापुर पंचायत क्षेत्र के किसान मक्का के बाद प्राय: धान की फसल पर ही आश्रित हैं। लेकिन बारिश नहीं होने से प्रखंड क्षेत्र के किसान सुखाड़ की आशंका से हताश हैं। प्रखंड कृषि पदाधिकारी ओमप्रकाश यादव ने बताया कि अबतक निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप धान के बिचड़ा की बोआई हो जानी चाहिए थी। लेकिन बारिश नहीं होने से महज तीस प्रतिशत धान के बिचड़ा की बोआई हो पाई है। अगर अविलंब पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं हुई तो किसानों को पंपसेट के सहारे से धान के बिचड़ा की बोआई करनी पड़ेगी। ऐसी स्थिति में किसानों को मंहगी खेती के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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