उपद्रव के दौरान समस्तीपुर में हुई 30 करोड़ से अधिक की क्षति

समस्तीपुर। छात्रों की आड़ में शुक्रवार को उपद्रवियों ने शहर में नहीं बल्कि जिले में जबरदस्त उत्पात मचाया। तीन ट्रेनों की बोगियों एवं एक इंजन को आग के हवाले कर दिया। वहीं, समस्तीपुर स्टेशन पर जमकर तोड़फोड़ की। मोहिउद्दीननगर में तो रेलवे के पूरे कंट्रोल सिस्टम को तहस नहस कर दिया। वहां जितने भी उपस्कर एवं अन्य सामग्री थे उसको नुकसान पहुंचाया। वहीं, बस स्टैंड से लेकर मोहनपुर तक सड़क पर जबरदस्त उत्पात मचाया। विभिन्न कंपनियों के लोहे के पाइप के सहारे लगे सैकड़ों होर्डिंग को तोड़ डाला। वहीं गोलंबर की रैलिग को भी तोड़कर फेंक दिया। इतना ही नही पुलिस वैन एवं नगर निगम के डस्टबीन को भी जगह-जगह आग के हवाले कर दिया। इस दौरान कई गाड़यों के शीशे भी तोड़े गए। सिर्फ रेलवे की क्षति को ही लें तो उनतीस करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। बताया जाता है कि ट्रेन की एक सामान्य बोगी पर लागत करीब डेढ करोड़ रुपये आती है। जबकि वातानुकूलित कोच के एक डिब्बे पर ढाई करोड़ खर्च आता है। समस्तीपुर में बिहार संपर्क क्रांति एवं अमरनाथ एक्सप्रेस की पांच बोगी को आग के हवाले कर दिया गया। जबकि बिहार संपर्क क्रांति के लगभग पूरे कोच को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इतना ही नहीं लोहित एक्सपेस की भी सात बोगियां पूरी तरह जलकर राख हो गई। जबकि अन्य बोगियों को भी भारी नुकसान पहुंचाया गया। बताया जाता है कि रेलवे को उनतीस करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। जबकि बिहार सरकार, नगर निगम एवं अन्य को भी एक करोड़ से अधिक का नुकसान होने की बात कही जा रही है। कुल मिलाकर तीस करोड़ से अधिक का नुकसान उपद्रवियों ने किया। महज डेढ सौ से दो सौ थे उपद्रवी, फिर भी नहीं कर सके नियंत्रण


सबसे बड़ी बात यह है कि उपद्रवियों की संख्या महज डेढ सौ से दो बताई गई है। इतने कम संख्या में उपद्रवियों के रहने के बावजूद प्रशासन नियंत्रित नही कर पाई। जबकि नगर थाना, मुफस्सिल थाना और महिला थाना को मिला दें तो सौ से अधिक पुलिस कर्मी तैनात होंगे। आरपीएफ और जीआरपी के पास भी सौ से अधिक पुलिस फोर्स हैं। नजदीक में ही दुधपुरा में पुलिस लाइन हैं, जहां पांच सौ से अधिक पुलिस कर्मी मौजूद रहते हैं। शहर के आसपास के भी कई थाना हैं, जहां से मदद ली जा सकती थी। यदि ऐसा किया जाता तो जितने उपदवी थे, उससे दोगुणा पुलिस कर्मी होते। फिर भी नियंत्रण का प्रयास नहीं किया गया। उपद्रवियों को उत्पात मचाने के लिए खुला छोड़ दिया गया। आखिर प्रशासन को क्या मजबूरी थी, यह सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहा है। लोग इसको लेकर सवाल भी उठा रहे हैं कि एक सौ करोड़ से अधिक का जो नुकसान हुआ, उसके लिए जवाबदेह कौन? विधि व्यवस्था नियंत्रण करने की जिम्मेवारी जिनके हाथों में थी, उन्होंने क्यों नहीं इसको रोकने का प्रयास किया। रेलवे क्षेत्र में भी यदि किसी प्रकार का कोई उपद्रव होता है तो वहां भी विधि व्यवस्था की जिम्मेवारी स्थानीय प्रशासन की ही होती है। दलसिंहसराय की घटना के बाद भी प्रशासन नहीं हुआ अलर्ट सबसे बड़ी बात यह है कि समस्तीपुर और मोहिउद्दीननगर में हुई घटना के एक दिन पहले ही दलसिंहसराय स्टेशन पर तोड़फोड़ की गई थी। अवध असम एक्सप्रेस को रोककर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। बावजूद जिला प्रशासन गंभीरता से नही ली। स्टेशनों और शहर में सुरक्षा व्यवस्था बढाने की जरूरत थी। खुफिया विभाग के द्वारा भी पहले से अलर्ट किया गया था। बावजूद जिला प्रशासन ने इससे निपटने की कोई कोशिश नहीं की। पटोरी एसडीओ और डीएसपी की लोग कर रहे तारीफ
दूसरी ओर मोहिउद्दीनगर में उपद्रवियों के द्वारा लोहित एक्सप्रेस को आग के हवाले कर दिया गया। उपद्रवियों ने जमकर तोडृफोड़ की। प्रशासन और पुलिस के द्वारा बचाने का भरपूर प्रयास किया गया लेकिन बावजूद ट्रेन को आग से नहीं बचाया जा सके। पटोरी एसडीओ जफर आलम, डीएसपी ओम प्रकाश अरुण एवं मोहिउद्दीननगर थाना के पुलिस के साथ वहां के बीडीओ ने बहुत हद तक प्रयास किया। इस क्रम में डीएसपी का सर भी फट गया। एसडीओ भी चोटिल हो गए। दोनों की गाड़ियों भी उपद्रवियों ने गड्ढे में फेंक दिया। बावजूद लोग वहां के अधिकारियों की तारीफ कर रहे हैं। इसका कारण है कि वहां के अधिकारियों ने सीमित संसाधनों में अपनी ओर से उपद्रवियों को रोकने की हरसंभव कोशिश की। जबकि समस्तीपुर में न तो एक भी पुलिस दिखी और नही पदाधिकारी ही। हां, उपद्रवियों के शहर से निकलने के बाद जरूर भारी संख्या में पुलिस बल के साथ आला अधिकारी सड़क पर उतरे। लेकिन तब तक तो जो नुकसान होना था, वह हो चुका था।

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