नरपतगंज में बाढ़ का लाल पानी देखते ही लोगों में मचा हड़कंप

संवाद सूत्र, फुलकाहा (अररिया): नरपतगंज प्रखंड के उत्तरी भाग के पंचायतों में मंगलवार की सुबह अचानक लाल रंग के मटमैले पानी को देखते ही गांववासियों में हड़कंप मच गया। दरअसल बाढ़ की तबाही हर वर्ष झेलने वाले यहां के ग्रामीणों की बेचैनी पानी के मटमैले लाल रंग होते हीं बढ़ जाती है।

बताते हैं कि पानी का लाल रंग संभावित बाढ़ की निशानी है। पड़ोसी देश नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार वर्षा बारिश के कारण ही ऐसी अवस्था उत्पन्न होती है। इसके कारण कभी-कभार कोसी का बांध टूट जाता है। कोसी के कमजोर तटबंध होकर यह पानी नरपतगंज प्रखंड के उत्तरी भाग में तबाही मचाती है। उत्तरी भाग में खरहा धार एवं सुरसर नदी उफान पर है।

मंगलवार की सुबह से हीं नदियों से निकलकर आई बाढ़ का पानी आधे दर्जन गांव में प्रवेश कर गया है। सबसे अधिक मानिकपुर पंचायत के अमरोरी गांव, मानिकपुर के सीमावर्ती इलाके एवं अंचरा पंचायत के लक्ष्मीपुर गांव प्रभावित है। यहां लोगों के दरवाजे में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। यही वजह है कि ग्रामीण अब उचित जगहों को तलाश रहे हैं ताकि भयावह स्थिति होने पर ऊंचे स्थल पर शरण लिया जा सके। इसके अलावे खेतों लगी धान की बिचड़, मूंग एवं पाट की फसल भी प्रभावित हो रही है। जिन गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है, उनमें अमरोरी, मानिकपुर, लक्ष्मीपुर, तोपनवाबज, डुमरिया, मोतीटप्पू, मधुरा उत्तर, भवानीपुर, पोसदाहा, खैरा आदि गांव शामिल है। ऐसे में ग्रामीण अनजाने भय से ग्रसित हैं।
वर्ष 2008 की बाढ़ की विभीषिका झेल चुके ग्रामीण वर्ष 2017 की बाढ़ की भी त्रासदी देख चुके हैं। इसके कारण ग्रामीण सहमे हुए हैं। इधर खरहा धार एवं सुरसर नदी के जलस्तर में निरंतर वृद्धि हो रहा है। बाढ़ से किसानों को भारी क्षति हुई है। दर्जनों किसानों ने बताया कि लाल मटमैला रंग के पानी से धान की फसल व बिचड़ा को काफी नुकसान होगा, लेकिन खेतों में बाढ़ का पानी भरने से धान के बिचड़ा भी डूब गए हैं। ऐसे में किसानों के सामने रोजी रोटी की समस्या गहराने लगी है। किसानों पर वर्षा और बाढ़ की यह दोहरी मार किसी मुसीबत से कम नहीं है।
इस संबंध में नरपतगंज बीडीओ रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि बाढ़ की अंदेशा के कारण राहत और बचाव की तैयारी कर ली गई है। यदि ऐसा कुछ हुआ तो शीघ्रता से कदम उठाया जाएगा। सुरसर और खरहा धार की सफाई के बाद कम होगा बाढ़ का खतरा
संवाद सूत्र, फुलकाहा (अररिया): भारत नेपाल सीमा से सटे नरपतगंज प्रखंड के उत्तरी भाग में कमोबेश हर साल बाढ़ की त्रासदी आम ग्रामीणों को झेलनी पड़ती है। राहत और बचाव के नाम पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है, कितु बाढ़ से बचाव के स्थाई निदान नहीं किए जाते हैं। हर साल यहां सुरसर नदी एवं खरहा धार के उफान पर आने के बाद बाढ़ का पानी गांवों में फैलता है। दोनों नदियों में कोसी के माध्यम से बाढ़ का पानी आता है। यहां कोसी का पानी यदि कम मात्रा में आता है, तब खरहा धार एवं सुरसर नदी के टूटे तटबंध से बाढ़ का पानी बड़ी तेजी से नरपतगंज प्रखंड के उत्तरी भाग में फैल जाता है। लोगों का कहना है कि खरहा धार एवं सुरसर नदी की गहराई से सफाई के बाद टूटे तटबंधों की मरम्मत की जाय तो हर साल बाढ़ के समय राहत एवं बचाव कार्य में लगाई जाने वाली करोड़ों की राशि की बचत की जा सकती है। इससे अलग सूखे समय में सुरसर नदी एवं खरहा धार के तटबंधों से बालू एवं मिट्टी की अवैध खनन से भी यहां भयावह बन जाता है। सरकार एवं जिला प्रशासन इस दिशा में यदि सख्ती बरती तो रोका जा सकता है। यही नहीं, खरहा धार और सुरसर नदी की सफाई एवं तटबंध की मरम्मत के लिए मास्टर प्लान बनाने पर अमल किया जाना, फिलवक्त जरूरी हो गया है।

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