डेढ़ दशक तक अरब में की नौकरी, मदरसा से भी ले लिया वेतन

दरभंगा। डेढ़ दशक तक अरब में नौकरी की। जब गांव लौटे तो वहां मदरसे का सचिव उनका पुत्र था। फिर क्या था पिता-पुत्र ने मिलकर 15 वर्ष का वेतन पिता को शिक्षक बनाकर निकलवा लिया। डेढ़ दशक का वेतन निकालते समय सचिव को यह भी ध्यान नहीं रहा कि उस समय उनके पिता ने 18 वर्ष की आयु भी पूरी नहीं की थी। यह फर्जीवाड़ा हो गया मनीगाछी के जगदीशपुर गांव स्थित मदरसा सिफातुल इस्लाम में। फर्जीवाड़े की शिकायत गांव के ही तबरेज आलम ने जिला पदाधिकारी से की है।

जिला पदाधिकारी के आदेश पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश दिया है। सभी संभाग को छोड़ केवल जांच के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी की ओर प्रतिनियुक्त जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डा संजय कुमार देव कन्हैया ही इस मामले की जांच करेंगे। जांच की तिथि 25 जून निर्धारित की गई है। जांच में मदरसे के प्रधान मौलवी तथा आरोपी शिक्षक मोहम्मद शमीम को भी बुलाया गया है। सभी संबंधित पक्षों से कहा गया है कि वो जांच के समय उपस्थित रहें और अपना अपना साक्ष्य प्रस्तुत करें। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने प्रधान मौलवी को निर्देश दिया है कि मो. शमीम के वेतन भुगतान विपत्र, अनुपस्थिति विवरणी तथा उपस्थिति पंजी निश्चित रूप से जांच के समय उपस्थापित करें। इसके अलावा आरोपित शिक्षक शमीम अहमद को कार्य प्रमाण पत्र और सेवा पुस्तिका के साथ जांच के समय बुलाया गया है।

बताते हैं कि तबरेज आलम ने अपने आवेदन में आरोप लगाया था कि शमीम डेढ़ दशक से विदेश में नौकरी कर रहे थे। जब गांव लौटे तो उस समय मदरसा सिफातुल इस्लाम के सचिव पद पर उनका पुत्र आफताब आलम बैठ चुका था। पिता के गांव लौटते ही पुत्र ने पिता को भी नौकरी देने की सोची । उसने आनन-फानन में डेढ़ दशक पूर्व की तिथि से ही उनको मदरसे में योगदान करवा दिया, और इसी आधार पर वर्ष 2013 में 15 वर्षों का वेतन निकाल लिया । तबरेज आलम का कहना है कि शमीम के नियुक्ति पत्र और जन्म प्रमाण पत्र से ही पता चल जाएगा कि मदरसा में योगदान के समय उनकी आयु 18 वर्ष भी नहीं थी ।इसके अलावा जब वह विदेश में नौकरी कर रहे थे तो मदरसा में काम कब किया। जब काम नहीं किया तो वेतन किस आधार पर प्राप्त कर लिया। सबकी निगाहें अब जांच पर टिक गई हैं देखना है कि जांच निर्धारित तिथि को हो भी पाती है कि नहीं।

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