कैशलेस एमडीएम संचालन से प्रधानाध्यापक को हो रही परेशानी

संसू, नवहट्टा (सहरसा)। प्रारंभिक विद्यालयों में संचालित मिड डे मील योजना के क्रियान्वयन में हुए बदलाव से प्रधानाध्यापक परेशान हैं। एचएम अब अपनी मर्जी की दुकान से मध्याह्न भोजन के सामान की खरीदारी नहीं कर सकते।

वह अब उन दुकानों से सामान की खरीद कर सकते हैं, जिसका बैंक में खाता होगा और जो दुकान निबंधित होगी। इससे पूर्व मध्याह्न भोजन योजना की सामग्रियों के खरीद उपरांत दुकानदारों को चेक या फिर सीधे तौर पर राशि भुगतान कर दी जाती थी। बदलाव के तहत खरीदारी उपरांत स्कूल प्रशासन द्वारा दुकान का बैंक खाता दिया जाएगा जिसके बाद डीईओ कार्यालय द्वारा संबंधित दुकानदारों को पीएमएफएस के माध्यम से उनके खाते में राशि दी जा रही है। मध्याह्न भोजन योजना की सारी प्रक्रिया अब कैशलेस हो गई है ।

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एमडीएम संचालन में हो रही परेशानी
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ग्रीष्मावकाश के बाद जब विद्यालयों में बच्चों के लिए भोजन पकने लगा है तो विद्यालय प्रशासन को इन नियमों का पालन करना कठिन हो रहा है। विभागीय स्तर से खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। शेष सामग्री जैसे नमक, तेल, मसाला, सब्जी आदि वस्तुओं का क्रय विद्यालय प्रशासन को करना पड़ता है। जिसके लिए सरकार योजना मद के खाते में राशि उपलब्ध कराती है। ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित अधिकांश दुकानें निबंधित नहीं होती है। निबंधित दुकानों की संख्या बाजार में ही होती है ऐसे में मध्याह्न भोजन योजना से जुड़े सामानों की खरीदारी को लेकर उन्हें गांव से बाहर शहर की दुकानों पर जाना होगा। सब्जी खरीद करने में अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है । अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों के प्रधानों द्वारा सब्जियों की खरीद ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले हाट बाजारों से ही कर ली जाती थी। ऐसे व्यवसायियों के पास पक्का रसीद देने का कोई प्रावधान ही नहीं होता। वैसे भी प्राय: प्रखंड स्तर पर कोई ऐसी सब्जी मंडी नहीं है जहां निबंधित दुकान हो, जिले में भी कुछ ही ऐसी दुकानें होगी जो निबंधित है। ऐसे में मेनू के मुताबिक सब्जी की खरीद कर पाना और उनसे पक्का बिल लेना संभव नहीं हो रहा । ऐसे में योजना के संचालन करने वाले प्रधानाध्यापक में एमडीएम के संचालन के प्रति विरोध भी जताया । लेकिन इस सामूहिक विरोध का भी शिक्षा विभाग पर कोई असर नहीं पड़ा।

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