पांच वर्षों से जमे हैं एमडीएम बीआरपी

संवाद सूत्र, बेलदौर (खगडिया) : बेलदौर में प्रधानमंत्री पोषण योजना के संचालन पर सवाल उठने लगा है। जानकारी के मुताबिक स्कूलों में मार्च 2022 से वेंडरों के द्वारा एमडीएम सामग्री उपलब्ध करानी है एवं सामग्री भुगतान की राशि वेंडर के खाते पर विभाग करती है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि किसी भी स्कूल को वेंडर सामग्री उपलब्ध नहीं कराते हैं। स्कूल के एचएम अपनी जेब से एमडीएम चलाते हैं। लेकिन विभागीय पदाधिकारी की मिलीभगत से यह राशि वेंडर के खाते पर जरूर चली जाती है। सूत्रों के अनुसार एचएम को इस राशि को पाने के लिए पदाधिकारी व वेंडर को चढ़ावा देना पड़ता है। विभाग द्वारा प्रत्येक गुरुवार को वेंडर द्वारा सामग्री उपलब्ध करवाए जाने को लेकर जानकारी मांगी जाती है। वेंडर द्वारा सामग्री उपलब्ध नहीं करवाने के बावजूद भी रिपोर्ट भेजना उनकी मजबूरी बनी हुई है। जिससे योजना के सफल संचालन पर सवाल खड़ा हो गया है। सूत्रों की माने तो विभागीय पदाधिकारियों की मिलीभगत से वेंडर का भौतिक सत्यापन कराए बगैर उनके खाते पर एमडीएम की राशि भेजी जा रही है। जबकि वेंडर के दुकान कही् है ही नहीं। सूत्रों के अनुसार कई शिक्षक अपने रिश्तेदार को वेंडर बनाकर राशि का गोलमाल कर रहे हैं। इससे करीब पांच वर्षों से बेलदौर बीआरसी में जमे एमडीएम बीआरपी की भूमिका पर सवाल खड़ा हो गया है। कई प्रधानाध्यापक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि एमडीएम बीआरपी अपनी ऊंची पहुंच और पैरवी के बल पर पांच वर्षों से जमे हुए हैं। एमडीएम बीआरपी का पक्ष जानने उनके मोबाइल पर कई बार काल किया गया। रिग बजता रहा। लेकिन रिसीव करना उचित नहीं समझा। जबकि बीइओ अरुण यादव ने बताया कि जिला स्तर पर रजिस्ट्रेशन कराने वाले वेंडर को खाते पर भुगतान होता है। समान नहीं पहुंचाने वाले वेंडर को एचएम चेंज कर सकते हैं। एमडीएम बीआरपी पांच वर्षों से एक ही जगह पर जमे हुए हैं, इसे चेंज करना डीइओ की जिम्मेवारी है।


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