जीविका समूह की दीदियों को दिया गया टीबी रोग की जानकारी

जागरण संवाददाता, पूर्णिया : स्वास्थ्य विभाग और कर्नाटक हेल्थ प्रोमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) के सहयोग से दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ। इसमें जीविका समूह की दीदियों को रोग के विषय जानकारी दी जा रही है ताकि पंचायत वे लोगों को सजग और जागरूक कर सकें। रुपौली प्रखंड के बिरौली गांव स्थित सोना संकुल संघ कार्यालय परिसर में कार्यशाला का समापन हुआ। जीविका समूह से जुड़ी दीदियों को टीबी जैसी संक्रामक बीमारी की पहचान, लक्षण एवं बचाव को लेकर विस्तार जानकारी दी गई। अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर भ्रमण के दौरान टीबी मरीजों की पहचान करें। रोग के लक्षण होने पर क्या करें


किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण मिले तो तत्काल क्या करना चाहिए। इसकी जानकारी प्रशिक्षण के दौरान दी गई। प्रशिक्षक के रूप में केएचपीटी के डीटीएल विजय शंकर दुबे सहायक प्रशिक्षक श्यामदेव राय थे। जिला यक्ष्मा विभाग की ओर से एसटीएस कुंदन कुमार उपस्थित रहे। इस प्रशिक्षण शिविर में जीविका समूह से जुड़े 16 ग्राम संगठनों की लगभग 35 दीदियों ने भाग लिया। डोभा मिलिक पंचायत के देवराज जीविका ग्राम संगठन की लीडर ममता कुमारी, पूनम देवी, रामपुर परीहट पंचायत के कोयल विओ से ज्योति देवी एवं पूनम कुमारी, भिखना पंचायत के राखी विओ और फातमा विओ से मनीषा कुमारी, रहिना खातून शामिल थी। हिन्दुस्तानी जीविका महिला ग्राम संगठन छर्रापट्टी की राधा देवी एवं प्रियंका देवी सहित कई अन्य मौजूद रही। जागरूकता में अहम योगदान केएचपीटी के डीटीएल विजय शंकर दुबे के द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान जीविका समूह से जुड़ी दीदियों को बताया गया। स्वयं सहायता समूह या आस-पड़ोस में किसी भी व्यक्ति को लगातार दो सप्ताह या उससे अधिक दिनों तक खांसी या बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होने की शिकायत सुनने या देखने को मिल रही है। स्वास्थ्य केंद्र भेजकर या ले जाकर बलगम की जांच कराना सुनिश्चित करना चाहिए। उचित चिकित्सीय उपचार के साथ सलाह दी जाती है। टीबी संक्रमण रोग है। सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज नि:शुल्क होती है। सामुदायिक स्तर पर जागरूकता से ही टीबी जैसी बीमारी को समाज से मिटाना संभव है। जीविका समूह की दीदियों का योगदान काफी अहम माना जाता है। उन्मूलन के लिए ग्रामीण स्तर पर जागरूकता आवश्यक
ग्रामीण स्तर पर रहने वाले खासकर झुग्गी झोपड़ी, ईट भट्ठा, घुमंतू लोग को जागरुक किया जा रहा है। टीबी रोगियों एवं स्वास्थ्य केंद्रों के बीच उत्पन्न बाधाओं को जड़ से समाप्त करने के लिए सामुदायिक स्तर पर जीविका समूह से जुड़ी दीदियों को उन्मुखीकरण कार्यक्रम के तहत जागरूक किया का जा रहा है। इसके तहत टीबी से जुड़े मिथक को समाप्त करना है।

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