बुजुर्ग माता-पिता को पुत्र ने घर से निकाला, सरकारी अस्पताल बना बसेरा

बगहा। लौकरिया थाना क्षेत्र के तिनफेड़िया गांव में एक पुत्र ने वृद्ध मां बाप को घर से निकाल दिया है। जिसके बाद दंपति को गांव के ही जर्जर और बंद पड़े स्वास्थ्य उपकेंद्र में शरण लेना पड़ा। गौरतलब हो कि बेटे की इस करतूत पर बुजुर्ग दंपति ने पहले पंचायत का सहारा लिया। लेकिन यहां बात नहीं बनी तो उन्होंने कानून की शरण में ही जाना मुनासिब समझा। इस संबंध में उन्होंने लौकरिया थाने में आवेदन देकर आश्रय दिलाने की गुहार लगाई। लेकिन पंचायत और पुलिस द्वारा लाख मान-मनौव्वल के बाद भी कलयुगी बेटे ने मां-बाप को किसी भी सूरत में घर में रखने को तैयार नहीं हुआ। नतीजतन पुलिस बुजुर्ग दम्पत्ति के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर अग्रेतर कार्रवाई में जुट गई है। फिलहाल बुजुर्ग दंपति सरकारी अस्पताल परिसर में आश्रय लिए हुए है। बतातें चलें कि लौकरिया थाना क्षेत्र के तिनफेड़िया गांव निवासी 65 वर्षीय शंभू गोंड़ पिछले 10 वर्षों से दोनों आंख से अंधे हैं। जिनके दो पुत्र हैं। बड़ा पुत्र, छोटे पुत्र के झगड़े से तंग आकर गांव छोड़कर बाहर कमाने चला गया है। इधर पिता के घर में छोटा पुत्र अपने परिवार के साथ रहने लगा। लेकिन एक माह पूर्व छोटा पुत्र शीतल अपने मां-बाप का पूरा सामान निकाल कर घर से बाहर फेंक दिया और माँ बाप को भी घर से निकाल दिया है। जिसकी वजह से बुजुर्ग दम्पत्ति एक माह से गांव के अस्पताल के बरामदे में शरण लिए हुए हैं। इधर बुजुर्ग दम्पत्ति के शिकायत पर थानाध्यक्ष ने पहल कर दंपति के बेटे को डांट डपट व समझा बुझाकर पीड़ित मां-बाप को घर में रखवा दिया। लेकिन फिर से बेटे-बहु ने उन्हें घर से निकाल बाहर कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार यह विवाद जमीन की वजह से करीब तीन वर्ष पहले उत्पन्न हुआ था। पीड़ित शंभू गोंड का कहना है कि वो पिछले दस वर्षों से अंधे हैं। लिहाजा पत्नी ही मजदूरी कर उन दोनों का खर्च चला रही है। इस संबंध में लौकरिया थानाप्रभारी अभय कुमार ने बताया कि एक बार सामाजिक स्तर से पहल कर बेटे के द्वारा निकाले गए मां-बाप को घर के अंदर रखवाया गया था। लेकिन एक दो दिन बाद ही बेटे ने फिर बाप और मां को बाहर निकाल दिया। इस संबंध में पीड़ित दंपति के आवेदन पर मामला दर्ज कर अग्रेतर कार्रवाई की जा रही है।

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