उत्पाद विभाग के लिए कमाई का जरिया बनी शराबबंदी, पकड़ने- छोड़ने का चल रहा खेल

मोतिहारी। शराबबंदी कानून उत्पाद विभाग के लिए कमाई का जरिया बन गया है। अनुमंडल के चकिया व पीपरा थाना क्षेत्र में इस विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रतिदिन छापेमारी व जांच के नाम पर खेल किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे से आए दिन किसी होटल या चाय-नाश्ते की दुकान से किसी न किसी को यह कहकर गाड़ी में बैठा लिया जाता है कि शराब पी है, जेल जाना पड़ेगा। इसके बाद लेनदेन का खेल शुरू हो जाता है और गाड़ी में बैठे साहब सेटिग कर पकड़े गए व्यक्ति को उतार कर टीम के साथ चलते बनते है। सवाल यह है कि अगर किसी ने शराब पी है या बेच रहा है, तो उसे जेल भेजना चाहिए। अगर किसी ने शराब नहीं पी है तो उसे पकड़ा ही क्यों जाता है।


स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले दिनों उत्पाद विभाग की टीम ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर थाना क्षेत्र के सेमरा बीपी पेट्रोल पंप के निकट एक चाय नाश्ते की दुकान में दो बार छापेमारी की और दुकान के बाहर बैठे दुकानदार समेत तीन लोगों को पकड़ कर ले गई। फिर रास्ते में ले जाकर पैसा लेकर तीनों को छोड़ दिया। बताया जा रहा है कि उक्त दुकान पर तीन दिन पहले टीम ने बीआर 07 पीबी 2006 नंबर की स्कार्पियो से जाकर छापेमारी की थी। दुकान के बाहर बैठे दो लोगों को पकड़ गाड़ी में बैठाया और टाल प्लाजा से आगे ले जाकर मोल भाव करने लगा। फिर आधा घंटे बाद दोनों से चार-चार हजार रुपये लेकर छोड़ दिया गया। पकड़ा गया व्यक्ति पीपरा थाना क्षेत्र के चकबारा निवासी रमेश कुमार व दरभंगा जिले का ट्रैक्टर चालक मो शमशेर है, जो ट्रैक्टर चलाने के बाद उक्त दुकान पर रात्रि विश्राम करता है। वही मंगलवार की रात पुन: उत्पाद विभाग की टीम ने उक्त दुकान पर छापेमारी की और दुकानदार सेमरा निवासी रामाकांत साह को पकड़ कर गाड़ी में बैठा लिया। फिर मोल-जोल शुरू हुआ और साढ़े तीन हजार रुपये लेकर छोड़ दिया गया। अब सवाल यह है कि आखिर तीन दिन के अंदर टीम ने एक ही दुकान पर दो बार छापेमारी क्यों की? क्या पहली बार आसानी से पैसा मिलने के कारण दोबारा छापेमारी की गई। अगर तीनों ने शराब पी थी तो उसे पकड़ने के बाद क्यों छोड़ दिया गया? या अगर तीनों ने शराब नही पी थी तो उन्हें पकड़ा ही क्यों गया। जबकि शराब की जांच करने वाली मशीन साथ लेकर आबकारी की टीम चल रही थी और मौके पर ही उनकी जांच भी की थी। इतना ही नही, टीम छापेमारी के लिए भाड़े की जिस गाड़ी का उपयोग कर रही है वो भी नियमानुकूल नहीं है। चकिया थाना क्षेत्र में छापेमारी के लिए विभाग द्वारा बीआर 07 पीबी 2006 एवं बीआर 05 पीए 1584 नंबर की स्कोर्पियो गाड़ी का उपयोग किया जा रहा है, जो भाड़े की बताई जाती है। परिवहन विभाग की एम परिवहन एप्प के अनुसार बीआर 07 पीबी 2006 नंबर की स्कॉर्पियो का इंश्योरेंस 12 जून 2022 के बाद से फेल है। साथ ही इसका प्रदूषण 03 अक्टूबर 2021 के बाद फेल है। उसी तरह बीआर 05 पीए 1584 नंबर की स्कोर्पियो गाड़ी का प्रदूषण 02 फरवरी 2022 के बाद से फेल है। जब सरकारी विभाग के अधिकारी ही परिवहन नियम का मजाक उड़ा रहे हैं तो आमजन को कैसे रोका जा सकता है।
वर्जन
मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराई जा रही है। इस मामले में जो भी दोषी होगा कार्रवाई जरूर की जाएगी।
अमृतेश कुमार
उत्पाद अधीक्षक
पूर्वी चंपारण

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