जमीन गई नदी में, फिर भी भर रहे हैं लगान

संवाद सूत्र, बेलदौर (खगड़िया)। यह अजीब विडंबना है। कोसी और गंगा नदी में जमीन विलीन हो गई, फिर भी किसानों को लगान भरना पड़ रहा है। मालगुजारी चुकता करते समय किसानों की आंखों में आंसू आ जाते हैं। उन्हें पानी में गई जमीन का लगान चुकाना पड़ता है। बेलदौर प्रखंड के डुमरी निवासी महेश सिंह पांच परिवार हैं। इन पांच परिवारों की लगभग 150 बीघा जमीन कोसी नदी में चली गई। पहले जहां उनकी जमीन थी वहां आज लग्गा भी थाह नहीं लेता है। लेकिन ये सभी लगान चुकता कर रहे हैं। कोसी की अजीब-अजीब दास्तान है। गांधीनगर के रुबी देवी का घर दो दशक पूर्व कोसी में विलीन हो गया। इस वर्ष पांच बीघे खेती की जमीन नदी के गर्भ में चली गई। वे भूमिहीन हो चुकी हैं। कोई मुआवजा नहीं मिला है। ये भी लगान चुकाने को विवश हैं। रुबी देवी कहती हैं- खेती-बाड़ी से गुजर बसर करती थी। अब उसका भी सहारा नहीं रहा। कोसी ने उजाड़ दिया है। प्रशासन ने भगवान भरोसे छोड़ दिया है। कम से कम लगान वसूली पर रोक लग जाए, तो राहत मिले।


गांधीनगर के ही विपिन शर्मा बताते हैं कि मात्र ढाई बीघा जमीन थी। खेती कर साल भर की खर्ची जुटा लेते थे। एक माह पूर्व ये जमीन कोसी कटाव की भेंट चढ़ गई। खेत में लगी मक्का की फसल कोसी नदी में समाती रही और मैं चुपचाप तमाशा देखते रहे रहा।
1975 से 1978 के बीच परबत्ता प्रखंड के कई इलाके गंगा नदी के कटाव की जद में आया। गांव से लेकर खेत-खलिहान तक गंगा में विलीन हो गए। गंगा नदी में समाए खेत का लगान आज भी यहां के किसान भर रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि कई जगहों पर नदी अब दूर चली गई है। गंगा की छारन धारा है। जहां मछलियां मारी जाती है। लेकिन लगान भरने वाले किसानों को इसका लाभ नहीं दिया जाता है। किसानों ने वर्ष 2006 में प्रखंड सह अंचल कार्यालय पर इस मुद्दे को लेकर अनशन भी किया था। लेकिन आश्वासन ही मिला। पूर्व मुखिया श्रीरामपुर ठुठी निवासी नेपाली सिंह, सिराजपुर निवासी कौशल किशोर चौधरी ने बताया कि जमीन गंगा में चली गईं। वर्षों हुआ, लेकिन लगान आज तक भरना पड़ रहा है। कोट
कोसी कटाव में खेती योग्य जमीन नदी में समाई है। जहां तक मालगुजारी की बात है, तो प्रावधान के अनुसार ही कुछ हो सकता है। अभी कुछ कहना मुश्किल है। विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर प्रयास जारी है।
सुबोध कुमार, सीओ, बेलदौर, खगड़िया। कोट
यह बहुत बड़ी समस्या है। मामला पुराना है। फाइलों का अवलोकन करेंगे। उसके बाद ही कुछ कह सकेंगे।
अंशु प्रसून, सीओ, परबत्ता, खगड़िया।

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