19 शिशु रोग विशेषज्ञ के बदले जिले में हैं महज चार चिकित्सक

जागरण संवाददाता, सुपौल : लगभग साढ़े सताइस लाख आबादी वाले सुपौल जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल काफी खास्ता है। बड़े तो बड़े यहां बच्चों के लिए भी पर्याप्त डाक्टर नहीं हैं। नतीजा है कि यहां के लोगों को बच्चों के इलाज के लिए निजी क्लीनिक की ओर रूख करना पड़ता है, जहां उसे काफी पैसे व्यय करने पड़ते हैं। मालूम हो कि सुपौल जिले के विभिन्न अस्पतालों में 19 शिशु रोग विशेषज्ञ के सृजित पद हैं। विडंबना है कि इसके विरूद्ध मात्र छह डाक्टर का ही पदस्थापन है। इसके अलावा चार शिशु रोग विशेषज्ञ के पद सदर अस्पताल परिसर स्थित एसएनसीयू में सृजित है, लेकिन इसके विरूद्ध तीन ही पदस्थापित है। इसी का नतीजा है कि यहां के बच्चों को जो संतोषप्रद इलाज होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है।


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कोई है अनुपस्थित तो कोई पूरा करने गए टेन्योर
सबसे दुखद पहलू यह है कि जो भी शिशु रोग विशेषज्ञ पदस्थापित हैं उनमें से कोई अनुपस्थित है तो कोई टेन्योर पूरा करने गए हैं। इस हिसाब से देखा जाय तो मात्र तीन शिशु रोग विशेषज्ञ ही विभिन्न अस्पताल में फिलहाल कार्यरत हैं। वहीं एसएनसीयू में तीन की जगह एक शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। जिसमें सदर अस्पताल एवं एसएनसीयू में एक-एक तथा अनुमंडलीय अस्पताल वीरपुर में दो शिशु रोग विशेषज्ञ फिलहाल कार्यरत हैं।
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दो ने दिया है योगदान
हालांकि, खुशी की बात यह है कि दो शिशु रोग विशेषज्ञ सिविल सर्जन कार्यालय में अपना योगदान दिए हैं, जिनमें एक लंबे छुट्टी पर थे और दूसरा अपना टेन्योर पूरा करने गए थे। बावजूद इसके इस जिले में शिशु रोग विशेषज्ञों की घोर कमी है। जो विभागीय रवैया है उसे देख सृजित एवं कार्यरत के बीच की गहरी खाई को पाटना मुश्किल दिखाई पड़ रहा है।

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