किसानों को नहीं मिलते भाड़े पर कृषि यंत्र, बंद रहते हायर सेंटर

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-15 केंद्रों की जिले में हुई है स्थापना, दिया गया सरकारी अनुदान
-10 केंद्रों के यंत्र हैं अक्रियाशील तो पांच केंद्र किसानों की जरूरत पूरी करने में असमर्थ जागरण संवाददाता, सुपौल : आर्थिक रूप से कमजोर किसान भी खेती-बाड़ी के कार्यों में कृषि यंत्रों का उपयोग करें इसके लिए सरकार ने कस्टम हायरिग सेंटर की व्यवस्था की हुई है। इसके तहत जिले में 15 केंद्रों की न सिर्फ स्थापना की गई बल्कि इन केंद्रों को अनुदान भी दिया गया। परंतु यह सेंटर जिले में सफेद हाथी साबित हुआ। 15 केंद्रों में से 10 केंद्रों को उपलब्ध कराए गए यंत्र रख-रखाव के कारण अक्रियाशील बनी हुई है तो शेष बचे पांच केंद्र किसानों की जरूरत को पूरा करने में असमर्थ साबित हो रहे हैं। ऐसे में गरीब और मध्यम वर्ग के किसान पारंपरिक तरीके से खेती करने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में किसानों की आय दोगुनी हो पाएगी फिलहाल यह होते नहीं दिख रहा है। दरअसल कृषि रोड मैप के तहत उत्पादन में बढ़ोतरी कर किसानों की आय दोगुनी करने के लिहाज से कृषि विभाग ने अनुदान के आधार पर जगह -जगह 15 कृषि बैंक स्थापित किया । इस केंद्र में उपलब्ध कृषि यंत्र का लाभ साधन विहीन किसानों को मामूली तय भाड़ा के आधार पर दिया जाना था। केंद्र की स्थापना बाद लगा कि मजदूरों के पलायन के कारण प्रभावित हो रही खेती को संभालने में सुविधा होगी तथा आधुनिक कृषि यंत्रों से किसानों से कम लागत पर उत्पादन में बढ़ोतरी कर इलाके के किसान लाभान्वित हो सकेंगे। परंतु सरकार की यह योजना अनुदान लेने तक ही सिमट कर रह गई।

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क्या है कस्टम हायरिग सेंटर
कस्टम हायरिग सेंटर बनाने के लिए सरकार 40 फीसद तक सहायता देती है। इसमें 60 लाख तक का प्रोजेक्ट पास करवा सकते हैं। इसके जरिए किसान सस्ते दर पर मशीन खरीद कर सकते हैं जो मशीन किसानों को एक नियत भाड़ा पर उपलब्ध कराना है। अगर किसान सहकारिता ग्रुप बनाकर मशीन बैंक तैयार करता है तो उसमें किसानों को 80 लाख रुपये तक की सब्सिडी का लाभ प्राप्त होता है।
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10 फीसद को भी लाभ नहीं
गरीब किसानों की मदद के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई कस्टम हायर स्कीम धन प्राप्त करने तक ही सीमित रह जा रही है। छोटे किसानों का आरोप है कि 10 फीसद किसान भी इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। इस योजना में मिलने वाली सब्सिडी का फायदा सेंटर के संचालक व अधिकारी आपसी मिली भगत कर कर ले लेते हैं। बाद में यंत्र को खराब बताकर अपने निजी कार्यों में इसका व्यवहार करते हैं । किसानों ने बताया कि योजना के नाम पर छोटे और गरीब किसानों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आपसी सेटिग गेटिग के आधार पर इस योजना में मिलने वाली सब्सिडी का लाभ उठाते हैं और अंतिम पंक्ति में खड़ा किसान जिसके लिए यह योजना लाई गई वह इधर से उधर लेकर अपनी खेती करता रहता है।
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कोट-
जिले में बनाए गए 15 कस्टम हायरिग सेंटर में से 10 सेंटर यंत्रों के रखरखाव के कारण अक्रियाशील बनी हुई है। इन सेंटरों को छोटे और मझोले किसानों के बीच निर्धारित भाड़े पर यंत्र उपलब्ध कराया जाना है। विभाग इन सेंटरों की जांच कराएगी फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-नवीन कुमार नवनीत सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण

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