जिले में महज दो प्रतिशत धान की रोपनी

जहानाबाद : मौसम की बेरुखी के कारण किसान चितित हैं। आसमान में बादल दिखते ही उनके चेहरा पर मुस्कान तो दिखता है लेकिन वर्षा नहीं होने से वे निराशा हो जा रहे हैं। जो किसान रोहिणी नक्षत्र में बिचड़ा लगाए थे उनके समक्ष परेशानी अधिक दिख रही है। यदि समय पर धान रोपनी नहीं हुई तो बिचड़ा खराब हो जाएगा। कुछ किसान चिलचिलाती धूप में भी मोटर पंप के सहारे खेत को रोपनी के लिए तैयार कर रहे हैं। पर धूप अधिक रहने के कारण पानी खेत में रुक नहीं पा रहा है। यही वजह है कि अब तक जिले में मात्र दो प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पाई है।


जिले में खरीफ फसल के तहत धान की खेती के लिए कृषि विभाग द्वारा 48 हजार 246 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य तय किया गया है। विभाग द्वारा किसानों को अनुदानित दर पर 1652.80 क्विटल बीज का वितरण भी किया गया है। हालांकि धान के बीज के अलावे किसानों को अरहर,मडुआ, ज्वार, उरद तथा सोयाबीन के बीज उपलब्ध कराया गया है। कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि अनुदानित दर पर किसानों के बीच बीज का वितरण किया जा चुका है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि मौसम को देखते हुए धान के अलावा अन्य फसल भी लगाएं। सरकार द्वारा दूसरी फसल के बीज भी अनुदानित दर पर दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिले उर्वरक की कमी नहीं होगी। किसान जरूरत के अनुसार ही खाद की खरीदारी करें। जिले में लक्ष्य के विरुद्ध अब तक प्राप्त उर्वरक (टन में) उर्वरक लक्ष्य व अब तक प्राप्त
यूरिया 14000 व 3147 डीएपी 3500 व 335
एनपीके 2500 व 750
एसएसपी 1300 व 26.95
नैनो यूरिया के प्रयोग से खेतों में बढ़ रही हरियाली
किसान अब धीरे-धीरे नैनो यूरिया के प्रयोग करना प्रारंभ कर दिए है। पिछले वर्ष किसानों द्वारा छह हजार लीटर नैनो यूरिया का प्रयोग किया गया था। किसान रामइकबाल शर्मा, सुभग सिंह, सचित शर्मा, रामबहादुर सिंह ने बताया कि नैनो यूरिया के प्रयोग से फसल में हरियाली अधिक रहती है। उपज भी अधिक होती है। किसानों का कहना है कि नैनो का प्रयोग नियम अनुसार करने पर इसका फायदा अधिक मिलता है। हानिकारक भी नहीं है। खेतों की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहती है। इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक रोहित कुमार ने बताया कि 120 लीटर पानी में पांच सौ एमएल नैनो यूरिया का प्रयोग करना चाहिए। इससे ज्यादा या कम पानी में प्रयोग करने पर कारगर नहीं हो पाता है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि यूरिया की जगह नैनो का प्रयोग करें। इससे फसल अधिक होगी।

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