चोरो ने खोल दी बंद पड़े 17 लाख रुपए के चावल-गेहूं की संचिका

जासं, नवहट्टा (सहरसा): प्रखंड मुख्यालय परिसर में स्थित व्यापार मंडल गोदाम में चोरी कर चोर ने सुस्त अधिकारियों को सक्रिय कर दिया। लगभग दो वर्ष पूर्व गोदाम में सील बंद किए गए 17 लाख के खाद्यान्न के संबंध में स्थानीय अधिकारी अनभिज्ञ थे। एसएफसी के सहायक गोदाम प्रबंधक नवीन प्रसाद रजक के कार्यकाल के दौरान अंत्योदय योजना का 256. 69 क्विंटल चावल एवं पीएचएच का 125. 38 क्विटल गेहूं खराब पाए जाने पर 12 मई 2020 को गोदाम में रखा गया था। बुधवार की रात तीन चोर ने लगभग 10 क्विंटल चावल चोरी किया था जिसके विरुद्ध सीओ ने प्राथमिकी दर्ज कराई है।


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चार अधिकारियों की टीम ने की थी जांच
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जिलाधिकारी के निर्देश पर तत्कालीन उपविकास आयुक्त की अगुवाई में चार अधिकारियों की टीम एसएससी के नवहट्टा गोदाम में खाद्यान्न का भौतिक सत्यापन किया था। डीएम द्वारा सहायक गोदाम प्रबंधक नवीन रजक को राज्य खाद्य निगम सहरसा कार्यालय में योगदान करने तथा अपर सांख्यिकी पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार सिंह को नवहट्टा गोदाम का सहायक प्रबंधक के रूप में प्रतिनियुक्त करने के आदेश दिया था। डीडीसी के साथ जांच में तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, बिहार राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक भी थे।
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गोदाम का हुआ भौतिक सत्यापन
अधिकारियों की टीम ने गोदाम में खाद्यान्न भंडारण का भौतिक सत्यापन किया। भंडारण के जांच के दौरान भंडार पंजी एवं भौतिक सत्यापन में अंतर पाया गया। जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं के बीच खाद्यान्न वितरण के बाद भी भंडार में अनाज की बड़ी मात्रा पाई गई। उसी अनाज में 256. 69 क्विंटल चावल एवं 125. 38 क्विटल मानव के खाने योग्य नहीं था। अधिकारियों ने उसे अलग रखकर भंडारण करवाया।
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कालाबाजारी की जताई आशंका
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गोदाम में आपूर्ति किए गए चावल की मात्रा से अधिक भंडारण से कालाबाजारी की आशंका जताई जा रही है। जांच टीम ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट किया कि पीडीएस दुकानदारों को नियत मात्रा से कम आपूर्ति दे कर खद्यान्न कालाबाजारी के लिए भंडारित किया गया। खाद्यान्न में कीड़े लग जाने एवं सड़ जाने के कारण खाद्यान्न का अनुमानित मुल्य 17 लाख रुपए के गबन तत्कालीन सहायक प्रबंधक पर लगाया गया था।
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खाद्य संरक्षा अधिकारी से नहीं कराई गई गुणवत्ता की जांच
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गोदाम में रखे गए खाद्यान्न को प्रथम ²ष्टया जांच टीम ने खाने योग्य नहीं माना तथा इसकी गुणवत्ता की जांच के लिए जांच खाद्य संरक्षा अधिकारी से कराने की मांग जिलाधिकारी को सौंपे प्रतिवेदन में की थी। इसके बावजूद दो साल बीतने के बाद भी गुणवत्ता की जांच नहीं की गई। खाद्यान्न धीरे-धीरे खराब होता चला गया। अंचलाधिकारी को गोदाम में रखे चावल का संरक्षक बनाया गया। बार-बार एसएफसी के जिला प्रबंधक ने खाद्यान्न के निष्पादन हेतु मुख्य महाप्रबंधक अधिप्राप्ति पटना, प्रमुख प्रशासन निगम पटना उप महाप्रबंधक भंडारण निगम पटना को पत्र लिखते रहें, लेकिन खाद्यान्न का निष्पादन नहीं किया जा सका।

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