जिले में गो-पालन योजना चढ़ी लापरवाही की भेंट

संवाद सहयोगी, जमुई : राज्य सरकार के द्वारा गो-पालन को बढ़ावा देने के लिए गव्य विकास विभाग के माध्यम से शुरू की गई योजना जिले में विभागीय अधिकारियों और बैंक परिवहन प्रबंधन की लापरवाही की भेंट चढ़ा कर रह गई है। विभाग द्वारा कुल प्राप्त 76 आवेदनों में से 35 आवेदनों को ऋण स्वीकृति हेतु विभिन्न बैंकों में भेजा गया है। लेकिन बैंक ने इस योजना की ऋण स्वीकृति में लापरवाही दिखाया है। अभीतक मात्र 15 आवेदन को स्वीकृति प्रदान किया गया है। 40 आवेदन अभी विभाग में लंबित पड़े हुए हैं। विभाग और बैंक प्रबंधन ने आवेदन लेने और ऋण देने की प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी है कि लोगों को कार्यालय और बैंक का चक्कर लगाते लगाते लाभ लेने से तौबा कर लेना पड़ता है।



अलग-अलग कोटि के लोगों के लिए अलग-अलग है सब्सिडी इस योजना के तहत दो गाय की खरीद के लिए एक लाख 60 हजार रुपये और चार गाय की खरीद के लिए तीन लाख 38 हजार 400 रुपये ऋण के तौर पर प्रदान किया जाता है। सामान्य जाति के लोगों के लिए 50 फीसद और अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 75 फीसद सब्सिडी की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा आवेदक स्व-पोषण के आधार पर भी गाय की खरीद कर सकते हैं। स्व पोषण के आधार पर गाय की खरीद के लिए लाभुक के खाता में निर्धारित राशि अवश्य ही होना चाहिए। इस योजना के तहत बैंक प्रबंधन और विभाग के अधिकारियों के देखरेख में ही आवेदक के द्वारा गाएं की खरीद की जाती है। गाय खरीद के पश्चात उसका बीमा किया जाता है। ताकि किसी भी दुर्घटना अथवा सामान्य तरीके से गाय का मृत्यु होने के पश्चात पशुपालक को सरकार के द्वारा निर्धारित क्षतिपूर्ति की राशि मिल सके। इस योजना के तहत गाय खरीदने से पहले पशुपालक को गाय को रखने के लिए शेड भी बनवाना अनिवार्य है। बैंक के वरीय पदाधिकारियों को इस योजना का ऋण स्वीकृत करने में सहयोग करने के लिए लिखा गया है। जल्द ही इस योजना के तहत विभाग द्वारा आवेदन लेने की कवायद की जाएगी।
-उमेश कुमार, जिला गव्य विकास पदाधिकारी

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