गिरिहिडा पहाड़ को हरा भरा बनाने में जुटी छह अंकेक्षकों की टीम

जागरण संवाददाता, शेखपुरा: किसी ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व के स्थलों की दुर्दशा या कमियों को देख टीका-टिप्पणी तो बहुत लोग करते हैं लेकिन कम ही ऐसे लोग होते हैं, जो सूरत बदलने की कोशिश करते हैं। पटना महालेखाकार कार्यालय में वरीय अंकेक्षक (लेखा परीक्षक) सत्यप्रकाश सिंह ने कुछ ऐसी ही पहल की है। वे छह माह पहले आए तो थे शेखपुरा रजिस्ट्री कार्यालय का अंकेक्षण करने, परंतु शेखपुरा में मौजूद गिरिहिडा पहाड़ पर हरियाली नहीं देख व्यथित हुए। पटना लौटे तो अपने कार्यालय के सहयोगियों से इस बारे में विमर्श किया। पांच वरीय व कनीय अंकेक्षक पहाड़ को हरा-भरा बनाने की मुहिम में साथ देने को राजी हुए। बरगद, पीपल, नीम, पाकड़, जामुन, बेल, सिरिस, करंज व कटहल के बीज की व्यवस्था की। सारे बीज खुद जमा किए। उपजाऊ मिट्टंी के गोले बनवाए और शनिवार को पहुंच गए शेखपुरा की पहचान गिरिहिडा पहाड़ पर बीजारोपण करने। आठ सदस्यीय टीम के साथ सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजेश कुमार सुमन भी हो लिए। दिन भर पहाड़ के पत्थरों के बीच व कंदराओं में मिट्टंी के गोले डाले और उन पर बीजों का छिड़काव किया। जिले में अभी तक अपेक्षाकृत कम वर्षा हुई है, सावन में और वर्षा हुई तो टीम ने विभिन्न प्रजाति के पौधे लगाने का भी निर्णय किया है। ताकि वे अच्छे से पनप सकें। टीम के सदस्यों ने हर हफ्ते रविवार की छुट्टंी का सदुपयोग पौधों की नियमित देख रेख के लिए तय किया है। सभी ने अपनी बारी तय कर ली है।


टीम में महालेखाकार कार्यालय के अखिलेश पासवान, संजीत कुमार, धर्मेंद्र कुमार, ओम कुमार व शशांक शेखर शामिल हैं।
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ऐसे आया विचार
वरीय अंकेक्षक सत्यप्रकाश सिंह ने बताया कि रजिस्ट्री कार्यालय का अंकेक्षण करने के दौरान उन्हें गिरिहिडा पहाड़ पर आने का मौका मिला था। पहाड़ के शिखर से शेखपुरा शहर का विहंगम दृश्य बेहद लुभावना लगा। पहाड़ पर ही मौजूद कामेश्वरनाथ मंदिर में भगवान शिव को नमन किया। पुजारी ने बताया कि मान्यताओं के बारे में बताया। कहा, महाभारत काल में भीम ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। भीम की पत्नी हिडिंबा का यह निवास स्थल था। यह सब सुन और देख कर उसी वक्त विचार आया कि गिरिहिडा पहाड़ को गोद लेकर इसे हरा-भरा करूंगा। सहकर्मियों का भरपूर साथ मिला। पूरी उम्मीद है कि कुछ माह में गिरिहिडा पहाड़ पर हरियाली लौट आएगी।

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