प्राध्यापकों की कमी से छात्रों को उच्च शिक्षा में उत्पन्न हो रही बाधा

समस्तीपुर। जिले के महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। इस वजह से छात्रों को उच्च शिक्षा की पढ़ाई में बाधा उत्पन्न हो रही है। ऐसे में छात्रों को स्वयं की तैयारी कर परीक्षा देना पड़ता है। जिले के समस्तीपुर कालेज, राम निरीक्षण आत्मा राम महाविद्यालय, बलिराम भगत महाविद्यालय और महिला कालेज में नियमित शिक्षकों की कमी की वजह से काफी परेशानी हो रही है। अधिकांश विषयों में वर्ग नहीं चलते। छात्र-छात्रा यहां केवल नामांकन के लिए और परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए आते हैं।

समस्तीपुर कालेज में कला और विज्ञान के कुल 11 विषयों में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा दी जाती है। लेकिन यहां 95 शिक्षकों के पदों के खिलाफ अब केवल 22 नियमित शिक्षक बच रहे हैं। हिदी, अंग्रेजी, जंतु विज्ञान, वनस्पति शास्त्र, रसायन शास्त्र, भौतिकी, मनोविज्ञान, गणित, राजनीति शास्त्र, इतिहास और अर्थशास्त्र विषयों में यहां बड़ी संख्या में स्नातकोत्तर की शिक्षा के लिए छात्र-छात्रा नामांकन करवाते हैं। आज स्थिति बिल्कुल बदल गई है। अधिकांश वर्ग वीरान नजर आते हैं। गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय में यहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। संस्कृत विषय में भी एक भी शिक्षक नहीं है। अंग्रेजी, रसायन शास्त्र तथा भौतिकी विषयों की इंटरमीडिएट से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई एक-एक अतिथि शिक्षक पर निर्भर है।

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बिना शिक्षक के मैथिली व दर्शनशास्त्र में हो रहा नामांकन :
आरएनएआर कालेज कला, विज्ञान व कॉमर्स के कुल 16 विषयों में स्नातक तक की शिक्षा दी जाती है। लेकिन यहां 45 शिक्षकों के पदों के खिलाफ मात्र 11 नियमित शिक्षक बचे हैं। यहां पर पांच विषयों में गेस्ट लेक्चरर पदस्थापित है। मैथिली व दर्शनशास्त्र विषय में एक भी प्राध्यापक नहीं है। इसकी पढ़ाई पूरी तरह से ठप है। गणित, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, बॉटनी, मनोविज्ञान, इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, हिदी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, मैथिली व दर्शनशास्त्र विषय में बड़ी संख्या में स्नातक की शिक्षा के लिए छात्र-छात्रा नामांकन करवाते है।
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महिला कालेज में गणित और भौतिक विज्ञान में शिक्षक का पद रिक्त :
महिला कालेज में कला व विज्ञान के कुल 18 विषयों में स्नातक तक की पढ़ाई के लिए छात्राओं का नामांकन लिया जाता है। यहां पर 49 पदों पर मात्र 13 नियमित शिक्षक कार्यरत है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि विज्ञान संकाय में गणित और भौतिक विज्ञान विषय में एक भी प्राध्यापक पदस्थापित नहीं है। छह अलग-अलग विषयों की पढ़ाई गेस्ट लेक्चरर के जिम्मे कराई जा रही है। यहां पर अंग्रेजी, भौतिक विज्ञान, गणित, बाटनी, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, इतिहास, समाजशास्त्र, होम साइंस, हिदी, संगीत, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, संस्कृत, उर्दू और मैथिली विषय में पढ़ाई होती है।
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बीआरबी कालेज में प्राध्यापकों का 15 पद रिक्त
बलिराम भगत कालेज में कला, विज्ञान व कामर्स की पढ़ाई होती है। 17 विषयों में स्नातक और पांच विषयों में स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई होती है। रसायन विज्ञान, जंतु विज्ञान, मनोविज्ञान, भूगोल एवं वाणिज्य विषय में पीजी की पढ़ाई इसी वर्ष से शुरू की गई है। यहां पर 33 पदों पर मात्र 15 रिक्त है। इसके अलावा हिदी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, मैथिली, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, इतिहास, भूगोल, गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, बाटनी, कामर्स विषय में पढ़ाई होती है।
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छात्रों की वर्ग में उपस्थिति के लिए नहीं किया जा रहा विचार :
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अंतर्गत जिले के किसी भी कालेज में छात्रों की वर्ग में उपस्थिति के लिए विचार नहीं किया जा रहा है। अलग-अलग कालेज में कुछ विषयों में शिक्षकों की संख्या संतोषप्रद है, लेकिन इन विषयों के स्नातक और स्नातकोत्तर वर्गों में भी छात्र-छात्राओं की संख्या नहीं के बराबर होती है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा या कालेज प्रशासन के द्वारा छात्र-छात्राओं को वर्ग के लिए आकर्षित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। कभी छात्र-छात्राओं और अभिभावकों की संयुक्त बैठक कर इस समस्या पर विचार नहीं किया गया। पहले छात्रों को पत्र लिखकर वर्गों में आने के लिए कहा जाता था लेकिन इसकी कोई व्यवस्था अब नहीं है। सेवानिवृत्त शिक्षकों को भी शिक्षा दान के लिए आकर्षित किया जा सकता था, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने इसकी कोशिश नहीं की। लेकिन परीक्षा-प्रपत्र भरने के वक्त सभी नामांकित छात्र-छात्राओं को जरूरी 75 प्रतिशत उपस्थिति दे दी जाती है।
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कक्षा नहीं चलने से परिवहन का शुल्क बचा रहे छात्र-छात्रा :
छात्र-छात्राओं का कहना है कि अगर वर्ग नहीं चलते और वर्ग से उन्हें कोई लाभ नहीं होता तो पैसे खर्च कर वे लोग कॉलेज क्यों जाए। सुदूर क्षेत्रों से आने वाली छात्राओं का कहना है कि उन्होंने कॉलेज जाना इसलिए भी छोड़ा है कि कॉलेज में लगातार तरह-तरह की परीक्षाएं होती रहती है जिसके कारण भी वर्ग नहीं हो पाते।

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