सरकारी विभागों पर 12 करोड़ से अधिक बिजली बिल बकाया

बेतिया। जिले में बिजली बिल के बकाए की वसूली को लेकर विभाग की ओर से दोहरा मानदंड अपनाया जा रहा है। आम उपभोक्ताओं से बिजली बिल की वसूली के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कनेक्शन काटे जा रहे हैं। 10 हजार रुपये से अधिक बिल बकाया होने पर आम उपभोक्ता का कनेक्शन काट दिया जाता है। लेकिन मजे की बात है, कि विभिन्न सरकारी विभागों पर बिजली बिल के मद में करोड़ों रुपए बकाया है और उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि इसको लेकर विभागीय अधिकारी भी खासे चितित और परेशान है। बकाएदारों की सूची में स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस, उत्पाद सहित कुल 41 ऐसे विभाग हैं, जिनके जिम्मे बिजली बिल के मद में लाखों रुपये बकाया है। सभी विभाग को मिलाकर करीब 12 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है। विभागीय बकायेदारों की सूची में सबसे अव्वल स्थान पीएचईडी विभाग को प्राप्त है। बताया जाता है,कि केवल इस विभाग पर करोड़ों रुपये बिजली बिल बकाया है। ऐसा नहीं कि वसूली के लिए बिजली विभाग की ओर से कोशिश नहीं की जाती है। बल्कि विभागीय अभियंता लगातार विभाग का चक्कर लगाते रहते हैं। पत्राचार भी किया जाता है। बावजूद इन विभागों से आज भी वसूली की दरकार है।


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बिल नहीं भरा तो कटेगा कनेक्शन
बकाया बिजली बिल की वसूली के लिए विभाग द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है। बिजली बिल चुकता नहीं करने वाले का कनेक्शन काटा जा रहा है। हालांकि यह अभियान फिलहाल धीमी गति से चल रहा है, लेकिन अप्रैल के पूर्व काफी जोर-शोर से अभियान चलाकर बकाए बिल की वसूली की गई थी। विभाग के इस अभियान का असर भी दिख रहा है। बताया जाता है, कि अभियान के बदौलत ही मार्च में लक्ष्य से अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि मार्च में कुल 29 करोड़ रुपये राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा गया था। इसके खिलाफ कार्यवाही करते हुए करीब 30 करोड़ से अधिक राजस्व की वसूली हुई।
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प्रीपेड मीटर के आने से बकाया राशि का खेल खत्म
बिजली विभाग के सहायक विद्युत अभियंता सुशील कुमार ने बताया कि प्रीपेड मीटर कई मायने में बेहतर है। प्रीपेड मीटर की वजह से अब बकाए का खेल खत्म हो गया है। प्रीपेड मीटर उतनी ही बिजली आपूर्ति करता है जितनी उसमें राशि जमा होती है। उन्होंने बताया कि यह मीटर उपभोक्ता और विभाग दोनों के लिए अच्छा है। उपभोक्ताओं को अपनी खपत और भुगतान की जानकारी ऑन द स्पॉट प्राप्त होती है। जबकि आपूर्ति के हिसाब से विभाग को राजस्व प्राप्त होता है। पूर्व के मीटर में यह व्यवस्था नहीं थी। नतीजतन विभाग का अभी करोड़ों रुपए बकाया है। उन्होंने बताया कि गरीब 32 हजार प्रीपेड मीटर लगाने का लक्ष्य रखा गया है। 20 हजार से अधिक मीटर लगा दिया गया है।
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कोट
आपूर्ति के अनुसार राजस्व की प्राप्ति के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। विभागीय आम उपभोक्ता जो भी बिजली का उपयोग कर रहे हैं उन्हें ससमय बिजली बिल जमा करने की जरुरत है।
मनीष शाक्य
विद्युत कार्यपालक अभियंता
बेतिया
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