वर्षा नहीं होने से धान की रोपनी को लेकर किसान चितित



संवाद सूत्र, कुमारखंड (मधेपुरा): प्रखंड क्षेत्र में कम वर्षा के कारण अब तक किसान धान की रोपनी नहीं कर पाए हैं। क्षेत्र के सुरहा चांप, रघुनियां, रामगंज गांव में धान की सर्वाधिक खेती होती है, लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण प्रखंड क्षेत्र अब तक महज 10 प्रतिशत किसान ही धान की रोपनी कर पाए हैं।
मालूम हो कि कृषि विभाग द्वारा पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष धान की अच्छी फसल होने की उम्मीद थी। इसको लेकर क्षेत्र में 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल का लक्ष्य था। वर्षा नहीं होने के कारण लक्ष्य प्राप्त करना काफी मुश्किल हो गया है। कम वर्षा होने के कारण किसानों द्वारा खेतों में लगाए गए बिचड़े सूखने लगे हैं। कुछ किसान पंपसेट लगाकर धान की रोपनी की गई है, लेकिन व नाकाफी है। इसको लेकर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 15 जुलाई तक शत-प्रतिशत रोपनी नहीं होने के बाद डीजल सब्सिडी पर विचार किया जाएगा। साथ ही किसानों के हित में वैकल्पिक कृषि के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। बारिश नहीं होने का आलम ये है कि खेतों में लगे धान के बिचड़े भी अब सूखने लगे हैं। धान की खेती प्रभावित होने से चितित किसान चंद्रकिशोर यादव, महेंद्र मेहता, श्याम सुंदर लाल, लत्तर यादव, राम कुमार एवं महिला किसान रुकमनी सहित अन्य किसानों ने बताया कि बिचड़े लिए बीज की बुआई की गई थी, लेकिन वर्षा नहीं होने के बाद अब तक कई खेतों में बीच अंकुरित नहीं हुआ है। इसको लेकर अब पुन: बिचड़े बोने पड़े सकते हैं। धान की अच्छी पैदावार के लिए अब तक धान की रोपनी हो जानी चाहिए थी, लेकिन मौसम की मार ने इस बार बस गड़बड़ कर दिया है। कुछ किसानों के द्वारा पंपसेट से पटवन करके धान रोपनी की जा रही है, लेकिन आग उगलते आसमान से धान की अच्छी पैदावार के लिए लगातार पंप सेट से पानी डालना पड़ सकता है जो काफी खर्चीला है। इस वजह से अधिकतर किसान धान रोपनी नहीं कर पाए हैं। प्रखंड कृषि पदाधिकारी शंभूशरण सिंह ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष प्रखंड में धान की फसल का लक्ष्य 10 हजार हेक्टेयर रखा गया है, लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण लक्ष्य तक पहुंचना बड़ी चुनौती होगी। किसानों की इस समस्या को दूर करने को लेकर विभाग के वरीय अधिकारियों से विचार-विमर्श किया जा रहा है।

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