जमुई का एक ऐसा थाना, जहां मुकदमा दर्ज कराने के लिए देना होता है नजराना

- सिकंदरा थाना का है मामला

- 07 दिनों तक थानेदार के टेबल पर पड़ा रहा पीड़ित का आवेदन
- 11 जुलाई को आठवें दिन दर्ज हुआ मुकदमा
- 03 जुलाई की रात विवाहिता को भगा ले गया लखीसराय का युवक
- 04 जुलाई को विवाहिता के ससुर शिकायत लेकर पहुंचे थे थाना
- 09 जुलाई को फिर से मनमाफिक तैयार कराया गया आवेदन
- 5000 रुपये मांगा गया नजराना, मुंशी को 1000 देने पर दर्ज हुआ मुकदमा
संवाद सहयोगी, जमुई : एसपी साहब, यह क्या हो रहा है। बिना नजराना सिकंदरा के थानेदार मुकदमा दर्ज नहीं करते। रवैय गांव से जुड़े एक मामले में एक हजार रुपये भुगतान करने तथा शेष चार हजार रुपये शीघ्र पहुंचा देने का भरोसा देने पर आठवें दिन मनमाफिक आवेदन लेकर मुकदमा तो दर्ज कर लिया गया। लेकिन, अनुसंधान अब भी प्रारंभ नहीं हुआ है। उसके लिए पूर्ण भुगतान आवश्यक है। आखिर अनुसंधान के लिए सरकार तेल(डीजल) जो नहीं देती, ऐसा जागरण नहीं, बकौल पीड़ित सिकंदरा पुलिस कह रही है। बड़ी बात तो यह है कि पुलिस का यह रवैया किसी मामूली घटना में नहीं बल्कि एक नवविवाहिता को भगा ले जाने की घटना से संबंधित मामले में है। आलम यह है कि घटना के 10 दिन बाद भी घटनास्थल तक पुलिस प्रारंभिक जांच के लिए नहीं पहुंच पाई है। बरहाल इस मामले की शिकायत अजय पासवान ने पुलिस अधीक्षक डा शौर्य सुमन को निबंधित डाक से की है। अब देखने वाली बात है कि इस मामले में पुलिस अधीक्षक का रुख क्या होता है।
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यह है मामला
पीड़ित अजय पासवान ने बताया कि चार जुलाई को तड़के तीन बजे लखीसराय जिला के लक्ष्मीपुर जलप्पा स्थान का युवक रवीश कुमार उनकी पुत्रवधू को भगा ले गया। सिकंदरा थाना के रवैय गांव से उक्त घटना को अंजाम देने में गांव के ही प्रमोद गोस्वामी ने सहयोगी की भूमिका निभाई। नवविवाहिता अपने साथ जेवरात और नकदी भी ले गई। इस घटना की ही शिकायत लेकर अजय थाना पहुंचे। यहां थानेदार ने आवेदन लेकर रख लिया और डेढ़ माह बाद आने को कहा। तीन-चार दिनों तक पुलिस की कोई सक्रियता नहीं देख अपनी फरियाद लेकर वह आरटीआइ कार्यकर्ता गिरीश सिंह के पास पहुंचे। आरटीआइ कार्यकर्ता ने मामले की दरियाफ्त की। परिणामस्वरूप नौ जुलाई को फिर से दूसरा आवेदन लिखवाया गया और 1000 लेकर 11 जुलाई को मुकदमा दर्ज हो गया। चार हजार और देने के बाद ही जांच शुरू होगी। बताया कि एक हजार रुपये भी चचेरी सास से कर्ज लेकर दिया है।
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अंदर जाकर मुंशी से मिल लो
अजय पासवान ने शिकायत पत्र में कहा है कि थानाध्यक्ष जितेंद्र देव दीपक ने नौ जुलाई को फिर से मनमाफिक आवेदन लिखवाया। उसके बाद अंदर जाकर मुंशी से मिल लेने कहा। वहीं मुंशी ने 1000 रुपये लेकर 4000 रुपये शीघ्र पहुंचा देने का फरमान सुनाया।
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कोट
नजराना लेकर मुकदमा दर्ज करने जैसी कोई बात नहीं है। पीड़ित का आवेदन प्राप्त होते ही मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
जितेंद्र देव दीपक, थानाध्यक्ष, सिकंदरा

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