सदर अस्पताल में 'धरती के भगवान' का असली रूप आया सामने

जागरण संवाददाता, खगड़िया : सदर अस्पताल का भगवान ही मालिक है। बीते मंगलवार की रात कमलपुर के अविनाश कुमार अपने डेढ़ वर्षीय बेटे अभिनव के इलाज को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। उसे उल्टी- दस्त हो रहा था। लेकिन यहां आपात ड्यूटी पर तैनात डा. गुलजीश आलम ने बच्चे का इलाज करने से इनकार कर दिया। डा. गुलजीश ने साफ लहजे में कहा, मैं बच्चे का डाक्टर नहीं हूं। बच्चे का डाक्टर एसएनसीयू में बैठता है, वहां जाकर इलाज कराओ। अविनाश बच्चे को लेकर आनन-फानन में एसएनसीयू पहुंचे। लेकिन अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया। उन्हें यह कहकर लौट दिया गया कि, यहां मात्र 28 दिन के बच्चे का इलाज होता है। यह सिलसिला कुछ देर तक चलता रहा। इमरजेंसी वार्ड से एसएनसीयू और एसएनसीयू से इमरजेंसी वार्ड का चक्कर लगाते- लगाते अविनाश थक गए। इधर अभिनव की हालत बिगड़ती जा रही थी। वह बार- बार उल्टियां करता जा रहा था। यह देखकर अविनाश गार्ड की परवाह किए बगैर एसएनसीयू में जबरन प्रवेश कर गए। ताकि अपने बेटे का इलाज करा सके। लेकिन एसएनसीयू में भी चिकित्सक के नहीं रहने से उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा।


इसके बाद अविनाश ने डीएम आलोक रंजन घोष को फोन लगाया और सारी बात बताई। डीएम ने इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक से बात कराने को कहा। लेकिन उन्होंने फोन लेने से इनकार कर दिया। जो डीएम सुन रहे थे। चिकित्सक डा. गुलजीश आलम ने अविनाश से कहा कि, जाओ, जिसको फोन करना है, करो, हम बात नही करेंगे। जिसके बाद डीएम आलोक रंजन घोष पांच मिनट के अंदर सदर अस्पताल पहुंच गए। उन्होंने बच्चे का हाल जाना और ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डा. गुलजीश आलम को जमकर फटकार लगाई। बच्चे को प्राथमिक उपचार के बाद पीडिएट्रिक्स वार्ड में भर्ती कराया गया। जहां उसका इलाज चल रहा है। मौके पर सिविल सर्जन डा. अमरनाथ झा, अस्पताल प्रबंधक शशिकांत कुमार ने भी मामले की जानकारी ली। कोट
आपातकालीन स्थिति में वहां मौजूद चिकित्सक को मरीज का प्राथमिक उपचार करना है। अगर ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक तत्काल प्राथमिक उपचार नहीं करते हैं, तो यह अपराध है। मामले की लिखित शिकायत मिली है। इसकी निष्पक्ष जांच कराकर उचित कार्रवाई करेंगे।
डा. अमरनाथ झा, सिविल सर्जन, खगड़िया।

अन्य समाचार