सावन माह में बेलपत्र का होता है विशेष महत्व, बेल के पत्तियों के बिना पूजा रहती है अधूरी

संसू, गलगलिया, (किशनगंज) : सावन माह की शुरुआत गुरुवार से हो चुकी है। सावन माह में बेलपत्र व बेल का विशेष महत्व है। बेल विभिन्न गुणों से भरपूर फल है और सावन में इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। कहते हैं सावन में शिव की पूजा बेल की पत्तियों के बिना अधूरी मानी जाती है। मान्यता है कि शिव को बेलपत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। वहीं इस पेड़ को सिचने से सब तीर्थों का फल और शिवलोक की प्राप्ति होती है। बेल पत्तियां व छाले कई रोगों में रामबाण है एवं फल का उपयोग शर्बत व मुरब्बा आदि कई रूपों में किया जाता है।


ठाकुरगंज हरगौरी मंदिर के पुरोहित श्री पार्वती चरण गांगुली का कहना है कि भगवान शिव को बेल पत्र परमप्रिय है। शिव पुराण अनुसार सावन माह के सोमवार को शिवालय में बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है। कुछ विशेष दिनों में ही प्राप्त कर सकते हैं साल भर की पूजा का फल।बेलपत्र का वृक्ष हर कामना को पूरी करता है। यही नहीं उसके पत्तों को गंगा जल से धोकर उन्हें बजरंगबली पर अर्पित करने से अनेक तीर्थों का फल मिलता है। बेल वृक्ष की जड़ में लिग रूपी महादेव का रहता है वास ::

बेल को बिल्व व श्री फल भी कहा जाता है। यह अति प्राचीन वृक्ष फल है। शास्त्र, पुराण व वैदिक साहित्य में इसे दिव्य वृक्ष भी कहा गया है। इस वृक्ष में लगे पुराने फल साल भर बाद पुन: हरे हो जाते है। इनके तोड़े गए पत्र (पत्तियां )कई दिनों तक ज्यों की त्यों रहती है। धार्मिक परंपरा में ऐसी मान्यता है कि बेल के वृक्ष के जड़ में लिग रूपी महादेव का वास रहता है। इसलिए इसके जड़ में महादेव का पूजन किया जाता है। इन्हीं दिव्य गुणों के कारण इन्हें पवित्र माना जाता है।

औषधीय गुणों है भरपूर::

बिल्वपत्र का सेवन, त्रिदोष यानी वात (वायु), पित्त (ताप), कफ (शीत) व पाचन क्रिया के दोषों से पैदा बीमारियों से रक्षा करता है। यह त्वचा रोग और डायबिटीज के बुरे प्रभाव बढ़ने से भी रोकता है और तन के साथ मन को भी चुस्त-दुरुस्त रखता है। बेल के अंदर टानिक एसिड, उड़नशील तेल, कड़वा तत्व और एक चिकना लुआबदार पदार्थ पाया जाता है। इसके गूदे में मारशोलिनिस तथा बीजों में पीले रंग का तेल पाया जाता। उष्ण, कफ, वातानाशक, दीपन, पाचन, हृदय रक्त स्तभंन, कफ नाशक, मूत्र व शर्करा कम करने वाला, कटु पौष्टिक, अतिसार, रक्त अतिसार, प्रवाहिका, श्वेत प्रदर होता है। इसलिए सावन में धार्मिक गुणों व विशिष्ट गुणों के कारण बेल व पत्तियों का विशेष महत्व है।

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