पुल की मांग पूरी नहीं होने पर अबतक आवागमन का साधन बना है नाव

संवाद सूत्र, टेढ़ागाछ (किशनगंज) : प्रखंड क्षेत्र के लोगों का आवागमन का साधन इतने दशकों बाद भी नाव ही है। आज भी यह प्रखंड विकास की रोशनी से महरूम है। जदयू के पंचायत अध्यक्ष कृष्ण प्रसाद मंडल ने बताया कि नदियों में आए बाढ़ व कटाव से सैकड़ों घर और हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन प्रत्येक वर्ष नदियों में विलीन हो जाती है। आज तक इस क्षेत्र के लोगों के लिए विभाग की तरफ से कोई ठोस और कारगर कदम नहीं उठाया गया है। जबकि शासन एवं प्रशासन से स्थानीय लोग वर्षों से पुल निर्माण की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन समस्या जस का तस बना हुआ है।


वर्षा के मौसम में छोटे मोटे स्तर पर कटावरोधी कार्य करके केवल खानापूर्ति की जाती है। अगर ठोस व कारगर कदम उठाए गए होते तो हर वर्ष इतने बड़े पैमाने पर घर और उपजाऊ जमीन नदियों में विलीन नहीं होता। दलित व गरीब जनता से वोट के समय वादा किया कि पुल, पुलिया, सड़क, बाढ़ व कटाव से बचाव को लेकर बांध का निर्माण किया जाएगा। आलम है कि चुनाव जीतने के बाद नेता का वादा भी नदियों में विलीन हो जाता है। सदियों से इस क्षेत्र के लोग नदियों व छोटे-मोटे धारों पर पुल पुलिया के लिए तरस रहे हैं। पुल पुलिया के अभाव में लोग जान जोखिम में डालकर छोटे-छोटे नाव के सहारे नदियों को पार कर आवाजाही करने को मजबूर हैं। बताते चलें कि टेढ़ागाछ प्रखंड होकर बहने वाली कनकई, रेतुआ एवं गोरिया नदी को पार करने के लिए वर्षा के मौसम में नाव ही एक सहारा है तो सूखा के मौसम में बांस का चचरी पुल ही इन ग्रामीणों के नसीब में है। हालांकि रेतुआ, कनकई व गोरिया नदी पर एक-एक पुल का निर्माण विगत कुछ वर्षों में हुआ है। वहीं ग्रामीणों का मानना है कि इन नदियों में और भी पुल पुलिया की दरकार है। वहीं टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र के हवाकोल पंचायत के वार्ड नंबर तीन स्थित रेतुआ नदी के खुरखुड़िया घाट में लोग जान को हथेली पर लेकर नाव की सवारी करने को विवश हैं। बताते चलें कि खुरखुरिया घाट पर नाव चालू होने से दर्जनों गांव के लोगों का आवागमन सुलभ होगा। ज्ञात हो कि इस होकर कुंवाड़ी, खर्रा, नित्यशाला, डाकपोखर, कुचहा, बेणुगढ़, आमबाड़ी, रहमतपूर, सुहिया, गिल्हनी, बैगना, मटियारी, तेघरिया, दुर्गापुर, कलापहाड़, धाधर, चंद्रगांव, ठौवापाड़ा सहित दर्जनों गांव के लोगों का अब आवागमन में सुविधा तो होगा पर दुर्घटना की संभावना भी बनी रहेगी। इसी प्रकार सुहिया, लोधाबाड़ी, देवरी, सुहिया, भेलागुड़ी आदि घाटों पर लोग नाव के पतवार के सहारे जिदगी जीने को लाचार हैं।

अन्य समाचार