सिकंदरा थाने में मुकदमा के लिए देना होता है नजराना !

अरविद कुमार सिंह, जमुई : सिकंदरा थाने में इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। यहां जांच और कार्रवाई की बात तो छोड़ दीजिए, मुकदमा दर्ज कराने के लिए भी पीड़ित को कड़ी मशक्कत करनी होती है। यहां केस दाखिल करने में पैसा और पैरवी को शायद विशेष तवज्जो मिलती है। आखिर तभी तो केस दर्ज करने में आवेदन लेकर टालमटोल तथा रुपये मांगने की शिकायतें पुलिस अधीक्षक तक पहुंचने लगी हैं। वैसे दो दिन पूर्व ही पुलिस अधीक्षक की क्राइम मीटग में सिकंदरा के थानेदार को कार्य प्रणाली में सुधार लाने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दिए जाने की बात कही जा रही है। इधर एसपी को की गई शिकायत में दोनों ही मामला रवैय गांव से जुड़ा है। पहली घटना चार जुलाई की अहले सुबह 3:00 बजे की है। जबकि दूसरी घटना 10 जुलाई की रात की बताई जा रही है। पहले मामले में एक हजार रुपये भुगतान करने तथा शेष चार हजार रुपये शीघ्र पहुंचा देने का भरोसा देने पर आठवें दिन मुकदमा तो दर्ज कर लिया गया। लेकिन, अनुसंधान प्रारंभ करने के लिए पुलिस को नजराने की बाकी रकम इंतजार है। आखिर अनुसंधान के लिए सरकार तेल(डीजल) जो नहीं देती, ऐसा जागरण नहीं, बकौल पीड़ित सिकंदरा पुलिस कह रही है। बड़ी बात तो यह है कि पुलिस का यह रवैया किसी मामूली घटना में नहीं बल्कि एक नवविवाहिता को भगा ले जाने की घटना से संबंधित मामले में है। आलम यह है कि घटना के 10 दिन बाद भी घटनास्थल तक पुलिस प्रारंभिक जांच के लिए नहीं पहुंच पाई है। बरहाल इस मामले की शिकायत अजय पासवान ने पुलिस अधीक्षक डा शौर्य सुमन को निबंधित डाक से की है। दूसरी घटना में रवैय मुसहरी निवासी संजय मांझी भी आवेदन लेकर 10 जुलाई से थाने का चक्कर लगा रहा है। ------- केस स्टडी - 1 पीड़ित अजय पासवान ने बताया कि चार जुलाई को तड़के तकरीबन तीन बजे लखीसराय जिले के लक्ष्मीपुर जलप्पा स्थान निवासी युवक रवीश कुमार उनकी पुत्रवधू को भगा ले गया। सिकंदरा थाना क्षेत्र के रवैय गांव से उक्त घटना को अंजाम देने में गांव के ही प्रमोद गोस्वामी ने सहयोगी की भूमिका निभाई। नवविवाहिता अपने साथ जेवरात और नकदी भी ले गई। उक्त घटना की ही शिकायत लेकर वे उसी दिन तकरीबन आठ बजे थाने पहुंचे। यहां थानेदार ने आवेदन लेकर रख लिया और डेढ़ माह बाद आने को कहा। तीन-चार दिनों तक पुलिस की कोई सक्रियता नहीं देख अपनी फरियाद लेकर वह आरटीआइ कार्यकर्ता गिरीश सिंह के पास मदद की गुहार लेकर पहुंचे। आरटीआइ कार्यकर्ता ने मामले की दरियाफ्त की। इसके बाद थानाध्यक्ष जितेंद्र देव दीपक ने नौ जुलाई को फिर से मनमाफिक आवेदन लिखवाया। फिर अंदर जाकर मुंशी से मिल लेने कहा। वहीं मुंशी ने पांच हजार रुपये का डिमांड किया। चचेरी सास से कर्ज लेकर 1000 रुपये देने पर 11 जुलाई को मुकदमा तो दर्ज हो गया। लेकिन चार हजार रुपये और देने के बाद ही विवाहिता की खोजबीन किए जाने की बात कही गई। -------- केस स्टडी - 2 रवैय गांव निवासी संजय मांझी ने पुलिस अधीक्षक को प्रेषित शिकायत पत्र में कहा है कि नौ जुलाई की शाम करीब 9:00 बजे घर चढ़कर पड़ोस के ही राजकुमार मांझी, उसका बेटा जहिदर मांझी, छोटू मांझी, भोला मांझी तथा कुंदन मांझी ने मिलकर उनके साथ बेरहमी से मारपीट की। इस दौरान घर में सामान क्षतिग्रस्त करने के साथ-साथ नकदी भी ले गए। इसकी शिकायत दर्ज कराने के लिए वे 10 जुलाई से थाने का चक्कर लगा रहे हैं। यहां बड़े बाबू के सामने ही मुंशी रुपये मांगता है, लेकिन बड़ा बाबू चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। ------- नजराना लेकर मुकदमा दर्ज करने जैसी कोई बात नहीं है। पीड़ित का आवेदन प्राप्त होते ही मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाती है।


जितेंद्र देव दीपक
थानाध्यक्ष, सिकंदरा

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