श्रावण मास में सोमवार को अवश्य करें शिव की पूजा : आचार्य

संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल) : शिव तत्व प्राप्त करने का मास श्रावण है। श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। इस मास में जो प्रत्येक दिन पूजन ना कर सके, उन्हें सोमवार को शिव पूजा अवश्य करनी चाहिए। सोमवार को व्रत रखकर शिव आराधना, अभिषेक एवं शिव का विशेष पूजन अवश्य करना चाहिए। श्रावण मास एवं शिव महात्म्य का वर्णन करते हुए त्रिलोकधाम गोसपुर निवासी आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि श्रावण मास में जितने भी सोमवार पड़ते हैं, उन सब में शिवजी का व्रतोपवास किया जाता है। इस व्रत में प्रात: स्नान, गंगा स्नान अन्यथा किसी पवित्र नदी, सरोवर या विधिपूर्वक घर पर ही स्नान करके शिवालय जाकर षोडशोपचार पूजन, अभिषेकादि करना चाहिए। तदुपरांत श्रावण मास महात्म्य शिव महापुराण की कथा सुनने का भी विशेष महत्व है। भगवान शिव का यह व्रत सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाला है। इस मास में की गई कोई भी साधना पूर्ण फलदायी होती है, क्योंकि इस मास का प्रत्येक दिवस सर्वकामना सिद्धि प्रदायक अमृत महोत्सव की गरिमा को अपने अंदर समेटे हुए होता है। श्रावण मास भूतभावन भोलेनाथ का मास है। आचार्य ने कहा कि यह आवश्यक नहीं कि किसी समस्या या पीड़ा के समय ही ईश्वर को याद किया जाए। बिना किसी आवश्यकता के भी हमें ईश्वर को याद करना चाहिए क्योंकि जहां शिव हैं वहां सब कुछ है। जनकल्याण एवं मोक्ष के लिए शिव आराधना शुभ कल्याणकारी है। इसलिए श्रावण मास का इंतजार सभी उत्सुकता के साथ करते हैं। श्रावण के महीने में चारों ओर प्राकृतिक हरियाली, रिमझिम बरसती बरसात की बूंदे मन को अतिशय शांति प्रदान करती है। श्रावण मास में जितने भी सोमवार पड़ते हैं, उन सब में शिवजी का व्रतोपवास किया जाता है।


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इस प्रकार करें भगवान आशुतोष की पूजा
आचार्य ने बताया कि इस पूरे मास में श्रद्धापूर्ण एवं विधि-विधानपूर्वक दूध, दही, घी, मधु, गुड़, पंचामृत, भांग इत्यादि के द्वारा पूजा-अर्चना की जाए तो निश्चित रूप से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ऐसे पूजन से ना केवल भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि उस व्यक्ति पर पूर्ण जीवनकाल तक लक्ष्मीजी की भी कृपा बनी रहती है। क्योंकि माता पार्वती स्वयं लक्ष्मी स्वरूपा हैं।
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इस बार चार सोमवारी का योग
इस बार का श्रावण का गुरुवार से यानि 14 जुलाई से आरंभ होकर 12 अगस्त यानि शुक्रवार श्रावणी पूर्णिमा के साथ-साथ रक्षाबंधन को सिद्धि योग में विश्राम होगा। इस बार के श्रावण में चार सोमवार का योग है। इन चारों सोमवारों में विशेष शिव उपासना से चारों प्रकार के पुरुषार्थों की प्राप्ति धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी। प्रथम सोमवार 18 जुलाई,को मोना पंचमी के साथ-साथ मनसा देवी का पूजन एवं स्त्रियों के लिए खासकर नवविवाहिताओं का विशेष पर्व मधुश्रावणी पूजा का भी शुभारंभ होने से तथा प्रथम सोमवार को दिन में 2 बजे तक अमृत योग तत्पश्चात सिद्धि योग होने से अति विशिष्ट योग हो गया है। दूसरा सोमवार 25 जुलाई को सोम प्रदोष व्रत अर्थात सोमवारी व्रत जो सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे अति दुर्लभ योग शिववास के साथ है। तीसरा सोमवार 1 अगस्त को है। चौथा सोमवार 8 अगस्त को सोमवारी व्रत जो सिद्धि योग में है यह सोमवारी श्रावण मास की अंतिम सोमवारी है।

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