पूर्वी कोसी मुख्य नहर में 15 हजार की जगह छोड़ा जा रहा 6300 क्यूसेक पानी

संवाद सहयोगी, वीरपुर (सुपौल) : कोसी के इलाके में मानसून की बेरुखी के कारण उत्पन्न हुई सुखाड़ की स्थिति की भयावहता से निजात दिलाने के उद्देश्य से कोसी की नहरों के जाल में खेतों तक पटवन का पानी पहुंचाने को लेकर जलवाहक पूर्वी कोसी मुख्य नहर में 15 हजार की जगह प्रति सेकेंड 6300 घनफुट पानी छोड़ा जा रहा है। इससे कई नहरों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है।

जल संसाधन विभाग के सिचाई सृजन के वरीय अभियंता खेतों तक पानी पहुंचाने का कोई कारगर उपाय पूर्व से न करते हुए हाथ पर हाथ धरे रहे। इसी दौरान मानसून ने किसानों के साथ खिलवाड़ करते हुए सुखाड़ की स्थिति पैदा कर दी। फिर भी विभाग किसानों के बीच पटवन को लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सका। 22 जून को नहर में पहला जलस्त्राव मात्र 1500 क्यूसेक दिया गया। 22 जून से 08 जुलाई तक दो हजार से तीन हजार क्यूसेक के बीच पानी छोड़ा जाता रहा। इसी दौरान 08 जुलाई को ही जल संसाधन मंत्री ने 15 हजार क्यूसेक जलस्त्राव छोड़ने का आदेश मुख्य अभियंता सिचाई सृजन सहरसा को दिया। तब 09 जुलाई से इसे बढ़ाते हुए 4000,10 जुलाई से 5000,12 जुलाई से 5500,14 जुलाई से 6000 एवं 15 जुलाई की सुबह 10 बजे से 6300 क्यूसेक जलस्त्राव कोसी बराज के हेड रेगुलेटिग से छोड़ा गया है।
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अब सवाल उठता है कि जलवाहक पूर्वी कोसी मुख्य नहर समेत सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया एवं कटिहार जिले में फैली कोसी की नहरों के जाल के अंतिम छोर तक के खेतों में पटवन हेतु पानी पहुंचाना और पटवन करवाने की जिम्मेदारी मुख्य अभियंता सिचाई सृजन सहरसा की है तो क्षमतानुसार जलस्त्राव सुखाड़ को देखते हुए देने में आनाकानी क्यों। आखिर बेहतर पैदावार को लेकर पटवन हेतु खेतों तक पानी पहुंचे को लेकर इन जिलों में नहरों के जाल बिछाए गए। कुसहा त्रासदी के बाद इन नहरों का पुनस्र्थापन कार्य कराए गए थे।

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