यौन कर्मियों के नाम और पता उजागर करने पर होगी कार्रवाई

जासं, सहरसा: 19 मई को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सेक्स वर्कर के संबंध में पारित आदेश को लागू कराने के लिए शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्घाटन जिला एवं सत्र न्यायाधीश आलोक राज ने न्यायाधीशों, पुलिस पदाधिकारियों एवं विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के महत्वपूर्ण आदेशों को रेखांकित करते हुए कहा कि वयस्क महिला द्वारा स्वेच्छा से किया जाने वाला यौन कार्य अब अपराध नहीं है। बल्कि इसे एक पेशा माना गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने यौनकर्मियों को आम नागरिक की तरह सभी संवैधानिक अधिकार देते हुए उसे कानूनी सुरक्षा प्रदान की है। यौन कर्मियों को समानता का अधिकार प्रदान किया गया है। अब पुलिस ना तो उसे गिरफ्तार कर सकती है और ना ही उसके कार्य में बाधा डाल सकती है। पुलिस को सेक्स वर्कर की शिकायत को गंभीरता से लेना होगा। सरकारी मशीनरी को उसे चिकित्सा एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना होगा। जिला जज ने कार्यशाला में उपस्थित न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को सत प्रतिशत लागू करवाने के लिए हर कानूनी कदम उठाने को कहा। एडीजे के विशेष न्यायाधीश अभय कुमार श्रीवास्तव, प्राधिकार के सचिव सह एडीजे रवि रंजन, जेजेबी के प्रधान दंडाधिकारी एनके पांडे ने सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय एवं आदेशों को विस्तार से बताते हुए यौन कर्मियों को उनके अधिकारों से अवगत कराया। पुलिस उपाधीक्षक हाजिफ एजाज मणि ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन का भरोसा दिलाया। मौके पर विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार झा, सभी न्यायाधीश व न्यायिक पदाधिकारी ,विधिज्ञ संघ के सचिव कृष्ण मुरारी प्रसाद ,कोर्ट मैनेजर रवि कुमार, डीएलएसए सहायक पवन कुमार समेत प्राधिकार के सभी कर्मी, पीएलभी एवं पैनल अधिवक्ता के अलावा दर्जनों यौनकर्मी मौजूद थी।

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