सावन में भगवान शिव की विशेष आराधना से मिलती है कष्टों से मुक्ति

संवाद सहयोगी, जमुई : हमारे भारतीय संस्कृति के विभिन्न धर्म ग्रंथों, वेदों और शिव पुराण में श्रावण मास को भगवान शिव की विशेष आराधना के लिए सबसे उत्तम और पवित्र महीना माना गया है। इस संबंध में पंडित कृष्णकांत आचार्य उर्फ शिरोमणि झा ने बताया कि सृष्टि की उत्पत्ति काल से ही सावन में भगवान शिव की विशेष आराधना की परिपाटी चली आ रही है। पूरे सावन मास के दौरान शिव को प्रिय वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए। भगवान शिव को नियमपूर्वक विभिन्न प्रकार की वस्तुएं अर्पित करने अथवा चढ़ाने से भक्तों को इच्छित फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव को जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत और स्नेहमय बनता है। केसर चढ़ाने से सौम्यता प्राप्त होती है। चीनी अथवा शक्कर चढ़ाने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और दरिद्रता भी समाप्त होती है। इत्र चढ़ाने से हमारा विचार शुद्ध और पवित्र होता है। दूध अर्पित करने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है। गेहूं चढ़ाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। दही चढ़ाने से हमारा स्वभाव गंभीर बनता है और जीवन में आने वाली परेशानियां भी दूर होती है। घी चढ़ाने से बल में वृद्धि होती है। चंदन चढ़ाने से मनुष्य का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है और इससे समाज में मान सम्मान तथा यश मिलता है। शहद चढ़ाने से वाणी में मिठास आती है। इसके अलावा भांग चढ़ाने से सभी प्रकार की कमी और बुराई दूर हो जाती है। सफेद अक्षत चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है और पूजा पूर्ण मानी जाती है। श्रावण मास के सोमवार के दिन गाय के दूध और चावल का खीर चढ़ाने से मानसिक तनाव तथा परेशानी दूर होती है। अगर आप लंबे समय से बीमार चल रहे हैं तो जल में काला तिल मिलाकर सोमवार को अर्पित करें। आर्थिक परेशानी और समस्या से निजात पाने के लिए सोमवार के दिन अनार का रस भगवान शिव को अर्पित करें। आंकड़ा और धतूरा का फूल चढ़ाने से सोना दान करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्याओं के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इसे भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक माना गया है। दूध में शक्कर मिलाकर चढ़ाने से कुशाग्र बुद्धि प्राप्त होती है। भगवान शिव को गन्ना का रस चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कपूर, भस्म, रुद्राक्ष, हल्दी, सरसों तेल, शम्मी का पत्ता, दूर्वा और मौसमी फल का भी भोग लगाना चाहिए।


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