नागपंचमी पर लावा और दूध से होती है नाग देवता की पूजा

जागरण संवाददाता, शेखपुरा:

सावन के पहले पखवारे की पंचमी के दिन नागपंचमी मनाने की परंपरा क्षेत्र में प्रमुखता से है। इस दिन सुबह में नीम के पत्ते और टहनियों को तोड़कर घर के मुख्य दरवाजे से लेकर कमरे तक लगाने की परंपरा है। नीम का दातुन करने और नीम के पत्ते को पीसकर पीने की भी परंपरा है। साथ ही गांव में कबड्डी खेलने की भी परंपरा अभी चली आ रही है।
धान का लावा और दूध से नाग देवता की होती है पूजा
शेखपुरा सदर प्रखंड के लोदीपुर गांव निवासी ओमकार पांडे बताते हैं कि धान का लावा और दूध से शाम में गृहणियां परंपरागत रूप से नाग देवता की पूजा करती हैं। जगह-जगह धान का लावा बिखरा दिया जाता है। शेरपर निवासी गृहणी रीना देवी कहती हैं कि घर के बाहरी दीवारों पर गोबर से घेराबंदी की परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि इससे नाग देवता घर के अंदर प्रवेश नहीं करते हैं। इस दिन कई गांवों में नाग देवता के मंदिर विषहरी स्थान में भी परंपरागत पूजा का आयोजन होता है। वहीं अरियरी प्रखंड के बेलछी गांव निवासी बुजुर्ग मुंद्रिका सिंह कहते हैं कि नाग देवता की पूजा, नीम के पत्ते का प्रयोग और कबड्डी खेलने की परंपरा गांव-गांव में है। नीम के पत्ते से बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता नाग पंचमी की सुबह खाली पेट में नीम के पत्ते को पीसकर अथवा नीम के पत्ते को चबाकर ग्रहण करने की परंपरा है। इसको लेकर बरबीघा के मालदह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के आयुष चिकित्सक डा. जेके प्रियदर्शी कहते हैं कि यह रक्तशोधक, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और शीतलता प्रदान करती है। बरसात में अनेक तरह के संक्रमण फैलने का खतरे को नीम के पत्ते के से कम किया जा सकता है।
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