आसमान से सोले बरस रहे,बूंद बूंद बारिश के लिए तरस रहे किसान



संवाद सूत्र फुलकाहा (अररिया): आषाढ़ का महीना बीतने को है। लेकिन मानसून की दगाबाजी ने किसानों को संकट में डाल दिया है। बारिश के अभाव में जहां पटवन कर खेती की गयी है। वहां धान के फसल पीले पड़ने लगे हैं। बिहार में बारिश नहीं होने से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। खेतों में धूल उड़ रहे हैं। अगर धान की बुआई की बात करें तो नरपतगंज प्रखंड के 29 पंचायत क्रमश: मानिकपुर, नवाबगंज, अंचरा आदि हजारों हेक्टेयर खेत में धान की बोआई बारिश के अभाव में नहीं हो पाई है। किसान पंप सेट चलाकर धान की रोपनी करने को विवश
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बारिश के मौसम में बूंद-बूंद बरसा के पानी के लिए तरस रहे हैं। नरपतगंज के किसान का हालात यह है कि धान की रोपनी के लिए यहां के किसानों को पंप सेट का सहारा लेना पड़ रहा है। इस क्षेत्र के हरे पानी से लबालब भरी हुई है। कितु सिचाई विभाग की उदासीनता के चलते किसानों के खेत तक नहर का पानी पहुंचाने का काम नहीं हुआ। डीजल पंप सेट में खपत करके यहां के किसान खेती-बाड़ी करने को मजबूर है। सावन के महीने में यूं तो हर तरफ बारिश होती है कितु यहां के किसान बारिश की एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। सावन माह शुरू हो गया है लेकिन मानसून की दगाबाजी ने किसानों को संकट में डाल दिया। बारिश के अभाव में जहां पटवन कर खेती की गई है वहां धान के फसल पीले पड़ने लगे हैं। क्षेत्र में बारिश नहीं होने चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। खेतों में धूल उड़ रहे हैं अगर धान की बुआई की बात करें तो नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ों हेक्टेयर खेत में धान की बुआई बारिश के अभाव में नहीं हो पा रही है। नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र के किसान जैसे तैसे पंपसेट चलाकर धान की रोपनी करने को विवश हैं। किसानों ने बताया कि उन्होंने किसी प्रकार पंपसेट से पटवन करवा कर धान की रोपनी कर ली। लेकिन अब खेतों में दरार पड़ने लगी है वे करें तो क्या करें। बताते चलें कि समय से पूर्व मानसून की दस्तक से किसानों में खुशी थी लेकिन सावन माह शुरू है लेकिन मनसुख रूठ गया। बूंद बूंद पानी के लिए किसान तरस रहे हैं और पानी है कि आसमान से नहीं बल्कि जमीन के अंदर से निकालने की व्यवस्था हर तरफ दिख रही है। एक बीघा खेत में लग रहा साठ लीटर डीजल
किसानों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या यह है कि जिन खेतों में धान की बुआई की जा रही है। उन्हें जलने से बचाने के लिए दुबारा पटवन कराना पड़ रहा है। तोपनवाबगंजकिसान सुखदेव यादव बताते हैं कि उन्होंने एक बीघा खेत में पंप सेट से पटवन कराया। खेत में 30 लीटर डीजल लगा। जबकि एक सप्ताह के अंदर ही उसी खेत में दुबारा पटवन कराना पड़ा। उन्होंने बताया कि एक बीघा खेत में एक सप्ताह के अंदर ही करीब छह हजार का डीजल लग गया। अगर बारिश का यहीं हाल रहा तो अब बिचड़े भी नहीं बचेंगे। किसानों की कमर टूट चुकी है। धान की रोपनी करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। खेतों में पड़ने लगीं दरारें, किसान चितित
बारिश नहीं होने से किसान-मजदूर वर्ग के लोगों की बेचैनी बढ़ने लगी है। खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। धान रोपने का समय निकलता जा रहा है। किसान बताते हैं कि धान रोपना तो दूर, बहुत से किसानों ने अब तक खेत में बिचड़ा भी नहीं डाला है। जिन किसानों ने मोटर या सबमर्सिबल के माध्यम से अपने खेत में धान का बिचड़ा लगा दिया है, उस खेत में फिलहाल बहुत बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गयी हैं। धान के बिचड़े को उखाड़ कर खेत में लगाने वाला समय आने बाद भी मानिकपुर, अंचरा, नवाबगंज, अमरोरी, लक्ष्मीपुर,भवानीपुर में एक दर्जन से अधिक गांवों में अब तक 20 प्रतिशत ऐसे किसान हैं, जो अपने खेत में धान का बिचड़ा भी नहीं लगाये हैं। धान की रोपनी में हो रही देरी
किसानों का कहना है कि अब सवान का महीना शुरू होने वाला है। अब तक धान की रोपनी हो जाती थी। लेकिन, इस वर्ष दो दशक बाद ऐसा समय आया है कि अब तक सभी किसान बिचड़ा की बोआई भी नहीं कर पाये हैं। लोगों को इस वर्ष सुखाड़ की आशंका सताने लगी है। किसान मुजम्मिल अंसारी, मु.कलाम, चंदेश्वर यादव, संजीव कुमार, शंकर कुमार,टीकू यादव,संतोष यादव जगेश्वर यादव, जगदीश यादव, विनोद यादव आदि ने बारिश नहीं होने पर चिता व्यक्त करते हुए सरकार का ध्यान किसानों की ओर आकृष्ट किया है। बिजली दे रही दगा,विभाग के लोग नहीं उठाते कॉल
बिजली से पटवन होने से किसानों को काफी कम खर्च लगता लेकिन बिजली के आंख मिचौली के खेल से पटवन क्या,उमसभरी गर्मी में हवा के लिए भी बिजली नहीं रहती है। आजकल नरपतगंज प्रखंड के फुलकाहा थाना क्षेत्र में बिजली गायब रहती है जिनके कारण लोग परेशान है। बिजली विभाग के लोग काल भी नहीं उठाते है। किसानों का कहना है कि बिजली रहेगी तो पटवन में सुविधा होगा

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