वर्षा के अभाव में खेतों में कीचड़ की जगह उड़ रहे धूल

संवाद सूत्र, बहादुरगंज (किशनगंज) : सावन माह में रिमझिम वर्षा के बीच खेतों के मेढ़ पर कुदाल चलाते एवं रोपनी करते किसान इस समय खुशी से झूम उठते थे। इस बार चिलचिलाती धूप के बीच रोपनी के लिए बोए बिचड़ा में पीलापन आने व सूखी खेत में दरार को देखते हुए किसान का कलेजा फटता नजर आ रहा है। एसी हालत में चिता की लकीर किसानों के चेहरे पर स्पष्ट झलकता नजर आ रहा है। बीते कुछ दिनों से वर्षा के अभाव में हाथ पर हाथ धरे किसान भाग्य भरोसे खेती करने पर मजबूर हैं।

कुछ किसान महंगे डीजल के सहारे निजी पंप सेट के जरिये सिचाई कर रोपनी जरूर करने में जुटे हैं। अधिकांश किसान अभी भी वर्षा के इंतजार में हैं। ताकि अपनी खेतों की रोपनी कर सके। उधर प्रखंड क्षेत्र के हरिहर प्रसाद, सुभाष कुमार, मु. बाबुल, महबूब आलम, शैलेन्द्र कुमार, विजय कुमार, संजय प्रसाद सहित दर्जनों किसानों का कहना है कि जब सूखे में बिचरा बोने का समय था उस समय मुसलाधार वर्षा हुई। जैसे-तैसे बिचरा बोया गया। जब बिचरा किसी तरह तैयार भी हुआ तो अब चिलचिलाती धूप के बीच वर्षा नहीं हो रही है। इस कारण बिचरा सूखने लगा है एवं पीलापन आ गया है। वर्षा के बिना खेतों में कीचड़ की जगह धूल उड़ रहा है। कुछ खेतों में दरार पडने लगे हैं। ऐसे में किसानों के सामने बहुत बड़ा संकट आ गया है। प्रखंड के अधिकांश सरकारी स्टेट बोरिग बंद पड़े हैं। जिस ओर विभागीय पदाधिकारियों के साथ जन प्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है। वहीं महंगी डीजल लेकर निजी पंप सेट से सिचाई कर खेती करना घाटे का सौदा है। ऐसे में यहां के किसान भाग्य भरोसे खेती करने को मजबूर है।

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