झोपड़ियों में चल रहा जिले का 1583 आंगनबाड़ी केंद्र

संस, सहरसा : सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को आकर्षण का केंद्र बनाने का दावा कर रही है। कुपोषण मुक्ति के लिए नित्य नई नीतियां बनाई जा रही है। जबकि जिले के 2090 आंगनबाड़ी केंद्रों में अब भी 1583 केंद्र झोपड़ियों में चल रहा है। इसमें 507 केंद्र जैसे- तैसे स्कूलों व अन्य सरकारी भवनों में चल रहा है। इन केंद्रों के संचालन पर विभाग द्वारा पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। बावजूद केंद्रों के संचालन के नाम पर औपचारिकता का निर्वहन हो रहा है।

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सरकारी भवनों में संचालित है महज 507 केंद्र

आंगनबाड़ी केंद्रों के बेहतर तरीके से संचालन के लिए सरकार द्वारा सभी सुविधा एवं उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार ने पोषण वाटिका के माध्यम से सब्जी उत्पादन कर बच्चों और धात्री महिलाओं को उपलब्ध कराने का आदेश दिया। इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया, परंतु जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों को अपनी जमीन और अपना भवन ही नहीं है। मनरेगा के तहत 64 आंगनबाड़ी केंद्र के भवन निर्माण की तैयारी की गई है, परंतु इसमें अधिकांश को अबतक जमीन ही नहीं उपलब्ध हो रहा है। मात्र 35 आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। शेष स्कूलों व अन्य भवनों में जैसे- तैसे चल रहा है। केंद्रों को अपना सामान रखने तक की जगह नहीं है।
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कैसे चलेगा पोषणमुक्त अभियान
समेकित बाल विकास परियोजना के नए प्रावधान के अनुसार मीनू के हिसाब से पोषाहार, रेडी टू कूक राशन आदि का निर्देश दिया गया है। ऐसे में इन सामान व बर्तन आदि के रखरखाव के लिए भी कमरे की आवश्यकता है। झोपड़ियों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में इसकी बड़ी कठिनाई हो रही है। ऐसे में बेहतर तरीके से पोषणमुक्त अभियान की कल्पना भी संभव नहीं है।
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कोट
विभिन्न योजनाओं से आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण चल रहा है। कुछ जगह अनापत्ति प्रमाणपत्र व जमीन की उपलब्धता के कारण कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है। इन जगहों पर ही केंद्र भवन बनाने के लिए तैयारी चल रही है।
विनिता कुमारी, डीपीओ, आईसीडीएस, सहरसा।

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