2031 आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे झोपड़ियों में, 403 को ही नसीब है भवन

जागरण संवाददाता, सुपौल: बच्चों में स्कूल पूर्व शिक्षा देने के साथ-साथ कुपोषण मुक्त बचपन तैयार करने के अभियान में जुटे आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल जिले में बेहाल बना है। जिले में दो दशक से भी अधिक दिनों से संचालित इस योजना का हाल ऐसा है कि 10 फीसद केंद्रों को अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है। उसमें भी तब जब सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को आकर्षण का केंद्र बनाने का दावा कर रही है। दरअसल सरकार कुपोषण मुक्ति के लिए नित्य नई नीतियां बना रही है। जिले में 2434 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। जिसमें से महज 403 केंद्रों को ही अपना भवन नसीब हो पाया है। शेष 2031 केंद्र झोपड़ियों में चल रहा है। इनमें से कई केंद्र ऐसे भी हैं जो जैसे तैसे स्कूल व अन्य सरकारी भवनों में चल रहा है। इन केंद्रों के संचालन पर विभाग द्वारा पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। बावजूद केंद्रों के संचालन के नाम पर औपचारिकता का निर्वहन हो रहा है।


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24 आंगनबाड़ी केंद्र के भवन निर्माण को लेकर मनरेगा को लक्ष्य
आंगनबाड़ी केंद्रों के बेहतर तरीके से संचालन के लिए सरकार द्वारा सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। सरकार ने पोषण वाटिका के माध्यम से सब्जी उत्पादन कर बच्चों और धात्री महिलाओं को उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। परंतु जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों को अपनी जमीन और अपना भवन नहीं है। चालू वित्तीय वर्ष में 24 आंगनबाड़ी केंद्र के भवन निर्माण को लेकर मनरेगा को लक्ष्य दिया गया है । परंतु इनमें से अधिकांश केंद्रों को जमीन ही नहीं उपलब्ध हो पा रही है। ऐसे में इस वर्ष भी लक्ष्य के अनुरूप केंद्र बन पाएगा फिलहाल यह संभव होते नहीं दिख रहा है।
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नहीं मिल रही जमीन
अधिकांश केंद्रों को आज तक भवन उपलब्ध नहीं होने का मुख्य वजह पोषक क्षेत्रों में जमीन उपलब्ध नहीं हो पाना रहा है। सरकार हर वर्ष भवन निर्माण को लेकर लक्ष्य देती है परंतु पोषक क्षेत्रों में जमीन नहीं उपलब्ध होने के कारण जिले में लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता है। दरअसल भवन निर्माण को लेकर पोषक क्षेत्र के मध्य में वैसी जगह जमीन होनी चाहिए जहां आने जाने की सुविधा हो। जाहिर सी बात है कि केंद्र निर्माण को ले बस्तियों में जमीन होनी चाहिए। जिसके कारण जमीन उपलब्ध नहीं हो पाती है। इधर विभाग भी जमीन उपलब्ध कराने की दिशा में दिलचस्पी नहीं ले रहा।
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रखरखाव के लिए कमरे की आवश्यकता
समेकित बाल विकास परियोजना के नए प्रावधान के अनुसार मीनू के हिसाब से पोषाहार, पका पकाया भोजन आदि देने का निर्देश प्राप्त है। ऐसे में केंद्र में बर्तन आदि के रखरखाव के लिए कमरे की आवश्यकता होती है। झोपड़ियों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में इसकी बड़ी कठिनाई होती है । ऐसे में बेहतर तरीके से पोषण मुक्त अभियान की कल्पना संभव नहीं हो पा रही है।

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