नियमित रूप से दवा के साथ पोषण पर ध्यान रख दे सकते हैं टीबी को दी मात

संवाद सहयोगी, किशनगंज : टीबी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। यदि टीबी रोग से ग्रसित मरीज का सही समय पर उपचार शुरू होने से स्वस्थ हो सकते हैं। सरकारी अस्पतालों में टीबी बीमारी की जांच के दवा नि:शुल्क उपलब्ध है। यह जानकारी बुधवार को सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने दी।

उन्होंने बताया की टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए पांच सौ रुपये प्रतिमाह दिए जाने वाली निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है। नए मरीज मिलने के बाद उन्हें पांच सौ रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। टीबी मरीज को आठ महीने तक दवा चलती है। इस आठ महीने की अवधि तक प्रतिमाह पांच पांच सौ रुपये दिए जाएंगे।

योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से राशि सीधे लाभुक के बैंक खाते में भेजी जाती है। टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को भी पांच सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। वहीं ट्रीटमेंट सपोर्टर को अगर कोई टीबी के मरीज छह माह में ठीक हो गया है तो उसे 1000 रुपये तथा एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर पांच हजार रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है। अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को भी पांच सौ रुपये देने का प्रावधान है।
टीबी को हराने के लिए सबसे पहले हमारे समाज को आगे आने की जरूरत है। वहीं गरीबी और कुपोषण टीबी के सबसे बड़े कारक हैं। इसके बाद अत्यधिक भीड़, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी, डायबिटीज, एचआइवी, धुम्रपान भी टीबी के कारण होते हैं। टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज, प्राइवेट चिकित्सकों की सहभागिता, मल्टी सेक्टरल रिस्पांस, टीबी की दवाओं के साथ वैसे समुदाय के बीच भी पहुंच बनानी होगी। जहां अभी तक लोगों का ध्यान नहीं जा पाया है।

सरकारी अस्पताल में 1499 टीबी मरीजों की पिछले वर्ष हुई पहचान

पिछले वर्ष कुल 1629 यक्ष्मा रोगियों की पहचान की गई। इसके अंतर्गत सरकारी अस्पताल में 1499 और प्राइवेट अस्पतालों में 130 मरीजों की पहचान हुई। जिसे मरीजों को निश्चय योजना का लाभ तथा उपचार के लिए सरकारी अस्पतालों में रेफर किया गया। जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी एवं यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डा. देवेन्द्र कुमार ने बताया कि एमडीआर-टीबी होने पर सामान्य टीबी की कई दवाएं एक साथ प्रतिरोधी हो जाती हैं। टीबी की दवाओं का सही से कोर्स नहीं करने एवं बिना चिकित्सक की सलाह पर टीबी की दवाएं खाने से ही सामान्यत: एमडीआर-टीबी होने की संभावना रहती है।

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