तन, मन व धन से करें गोपालन और गौ सेवा : डा. मनोहर मिश्र

संवाद सहयोगी, लखीसराय। शहर के नया बाजार में अष्टघटी तालाब स्थित श्री शिव पार्वती एवं श्रीराधा कृष्ण मंदिर प्रांगण में गायत्री परिवार द्वारा आयोजित गायत्री महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा वाचक डा. मनोहर मिश्र जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला की कथा सुनाई। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला में गोचारण लीला, माखन चोरी लीला, गोवर्धन लीला एवं महारास के बारे में विस्तार से चर्चा की। कथावाचक ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण को गाय परम प्रिय है।

इसलिए भगवान सर्वप्रथम गोचारण लीला करते हैं। गाय का दूध, दही एवं माखन का भोग लगाया करते हैं। महाराज जी ने बताया कि गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नाड़ी होती है जो सूर्य की सुनहरी किरणों को ग्रहण कर गाय के दूध में मिला देती है। इस कारण गाय का दूध, दही एवं घी का प्रयोग करने वाले का जीवन ओजस्वी, तेजस्वी एवं सुबुद्धि से युक्त होता है। माखन चोरी लीला का तत्व समझाते हुए महाराज जी ने बताया कि संतों का हृदय ही नवनीत यानी माखन है। गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं संत हृदय नवनीत समाना। क्योंकि माखन को जब आग की गर्मी लगती है तो वो खुद के कष्ट के कारण पिघलता है परंतु संत तो दूसरे का कष्ट देखकर ही पिघल जाते हैं। इसलिए जिनका मन निर्मल, परोपकारी और दयालु होता है उसका मन परमात्मा को बहुत प्रिय है। महारास का तात्विक अर्थ बताते हुए डा. मनोहर मिश्र जी महाराज ने बताया कि गोपी जीवात्मा है और कृष्ण परमात्मा हैं। इसलिए महा यानी बहुत और रास यानी पसंद अत: जीवात्मा को परमात्मा पसंद हैं। भक्तों को भगवान पसंद हैं इसलिए जीवात्मा और परमात्मा, भक्त और भगवान के मिलन को ही महारास कहते हैं। महाराज जी ने गोवर्धन पूजा की रोचक कथा सुनाते हुए कहा कि गोवर्धन यानी गाय का संवर्धन हम गोपालन एवं गो सेवा में तन, मन एवं धन से लग जाएं तो गोविद यानी परमात्मा की कृपा अवश्य मिलेगी। महाराज जी ने उपस्थित श्रोताओं को बताया कि 23 को रुक्मिणी विवाह प्रसंग कथा के दौरान झांकी भी पेश की जाएगी। कथा सहयोगी के रूप में संगीत मंडली में शामिल शैलेंद्र कुमार पुष्प, कन्हैया कुमार, मनोज शर्मा शामिल थे।

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